गांधीजी के जीवन का तीसरा सबसे बड़ा आन्दोलन था 'भारत छोड़ो आंदोलन'

8 अगस्त, 1942 का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया हो, तो भी उमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इस दिन ब्रिटिश सरकार की हुकूमत को समाप्त करने और अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने के लिए "अंग्रेजों भारत छोड़ो" आन्दोलन का आगाज हुआ था। यह आन्दोलन गांधीजी के जीवन का तीसरा सबसे बड़ा आन्दोलन था। इस आन्दोलन के आगाज के दिन गांधीजी ने लगभग 70 मिनट का भाषण दिया, जिसने देश के लोगों में एकता का संचार किया और उन्हें इस आन्दोलन को लड़ने की ताकत दी। इसलिए आज हम आपको गांधीजी के उस भाषण से जुडी मुख्य विषय-वस्तु के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं गांधीजी के भाषण से जुडी मुख्य बातों के बारे में।

* महात्मा गांधी जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन को प्रारंभ करने से पूर्व 8 अगस्त 1942 को ही मुंबई अधिवेशन में करो या मरो का नारा दिया गया जो काफी प्रसिद्ध हुआ।

* साथ ही गांधीजी ने कहा कि अब कांग्रेस पूर्ण स्वराज्य से कम के किसी भी सरकारी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगी।

* इस प्रस्ताव में कहा गया कि भारत में ब्रिटिश शासन का तत्काल अंत, भारत के लिए और मित्र राष्ट्रों के आदर्श के लिए अत्यंत आवश्यक है।

* इस पर ही युद्ध का भविष्य और स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की सफलता निर्भर है।

* कांग्रेस के ऐतिहासिक सम्मेलन में गांधी जी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया था उन्होंने कहा था कि मैं आपको एक मंत्र देता हूं करो या मरो जिसका अर्थ था भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करें।

* बस इस बात का ध्यान रखेगी आंदोलन गुप्त या हिंसात्मक ना हो उन्होंने कहा आप लोगों में से प्रत्येक व्यक्ति को अब से स्वतंत्र व्यक्ति समझना चाहिए और इस प्रकार कार्य करना कि मानो आप स्वतंत्र हो।

* मैं स्वतंत्रता से कम किसी भी वस्तु से संतुष्ट नहीं होऊंगा।

* गांधी जी के भाषण के बारे में डॉक्टर पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि वास्तव में गांधीजी उस दिन अवतार और पैगंबर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे।

* इसी भाषण के दौरान ही गांधी जी ने कहा था कि हम अपने गुलामी स्थाई बनाए बनाया जाना नहीं देख सकते।