फ्रांस ने सरकारी स्कूलों में लड़कियों के अबाया पहनने पर लगाया बैन, धर्म के नाम पर बंद हो छात्रों की पहचान

नई दिल्ली। फ्रांस के स्कूलों में अब धार्मिक कपड़ों पर बैन लगेगा। फ्रांस सरकार ने स्कूलों में लड़कियों के अबाया पहनने पर बैन लगाने का फैसला किया है। फ्रांस के शिक्षा मंत्री गैब्रियल एटॉल ने टीवी चैनल टीएफ1 को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि हमने यह तय किया है कि सरकारी स्कूलों में अबाया नहीं पहना जाएगा। अबाया एक तरह का फुल बुर्का होता है।

अधिकारियों का कहना है कि फ्रांस में स्कूलों में सख्त धर्मनिरपेक्ष कानून लागू है लेकिन स्कूल में छात्राओं का अबाया पहनकर आना इस कानून का उल्लंघन है।

शिक्षा मंत्री गेब्रियल अट्ल ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब स्कूलों के जरिए खुद को मुक्त करने की आजादी। उन्होंने अबाया को धार्मिक लिबास करार देते हुए कहा कि इसे पहनकर आना देश के धर्मनिरपेक्ष कानूनों की परीक्षा लेने जैसा है, जिसे स्कूल भी मानते हैं। जैसे ही आप क्लासरूम के भीतर दाखिल होते हैं। वहां ऐसा माहौल होना चाहिए कि आप सिर्फ छात्रों को देखकर उनका धर्म नहीं पहचान पाएं।

इससे पहले फ्रांस ने 2004 में स्कूलों में हेडस्कार्फ पहनने पर और 2010 में सार्वजनिक रूप से पूरे चेहरे के नकाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिस पर वहां रहे 50 लाख मुस्लिम लोगों ने नाराजगी जताई।

गौरतलब है कि फ्रांस के दक्षिणपंथी और धुर दक्षिणपंथी लोगों ने अबाया पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार पर दबाव डाला था, जबकि वामपंथियों का तर्क था कि इससे लोगों की स्वतंत्रता का हनन होगा।

2010 में नकाब पर बैन लगाया था

फ्रांस ने 2004 में स्कूलों में हेडस्कार्फ पहनने पर और 2010 में सार्वजनिक रूप से पूरे चेहरे के नकाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे फ्रांस में रहने वाली 50 लाख मुस्लिम लोगों में अब तक नाराजगी है। फ्रांस के सरकारी स्कूलों में बड़े क्रॉस, यहूदी किप्पा और इस्लामी हेडस्कार्फ पहनने की अनुमति भी नहीं हैं।

दक्षिणपंथियों के दबाव में आकर लिया फैसला

फ्रांस के दक्षिणपंथी और धुर दक्षिणपंथी लोगों ने अबाया पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार पर दबाव डाला था, जबकि वामपंथियों का तर्क था कि इससे लोगों की स्वतंत्रता का हनन होगा। हेडस्कार्फ से हटकर अबाया ऐसी चीज थी जिस पर अब तक किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।

कई मुस्लिम संगठनों वाली एक राष्ट्रीय संस्था, फ्रेंच काउंसिल ऑफ मुस्लिम फेथ (सीएफसीएम) ने कहा है कि अकेले कपड़े से किसी की धार्मिक पहचान नहीं होती है। धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना फ्रांस में एक नारा है पूरी देश की राजनीति इसके इर्द-गिर्द घूमती है।