नारायण दत्त तिवारी का 93 वर्ष की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। एनडी के निधन से राजनीति पार्टियों में शोक की लहर दौड़ गई। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी को ब्रेन स्ट्रोक आने के कारण 29 सितंबर 2017 से दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती थे। पिछले छह महीने से उनकी हालत काफी नाजुक थी। इस दौरान कई बार उनके निधन की खबरें भी आईं। लेकिन आज अपने 92वां जन्मदिन के मौके पर उन्होंने आखिरी सांस ली।
तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे
1968 में जवाहरलाल नेहरू युवा केंद्र की स्थापना के पीछे उनका बड़ा योगदान था। 1969 से 1971 तक वे कांग्रेस की युवा संगठन के अध्यक्ष रहे। एक जनवरी 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह कार्यकाल बेहद संक्षिप्त था। 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह अकेले राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तरांचल के भी मुख्यमंत्री बने। केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्हें याद किया जाता है।
प्रधानमंत्री पद की भी थी दावेदारी
1990 में एक वक्त ऐसा भी था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई। आखिरकार कांग्रेस के भीतर पीवी नरसिंह राव के नाम पर मुहर लग गई। बाद में तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए, लेकिन यहां उनका कार्यकाल बेहद विवादास्पद रहा।