राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे अजीत जोगी

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी का शुक्रवार को 74 साल की उम्र में निधन हो गया। 20 दिन में तीसरी बार दिल का दौरा पड़ने के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने 45 मिनट तक कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। जोगी ने दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर आखिरी सांस ली। वे 2000 से 2003 के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे।

अजीत जोगी का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को उनका जन्म हुआ। वे बीई मैकेनिकल में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। फिर रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में वे 1967-68 में लेक्चरर रहे। बाद में वे आईएएस बने। 1974 से 1986 तकरीबन 12 साल तक सीधी, शहडोल, रायपुर और इंदौर में कलेक्टर रहे।

राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए

इंदौर में 1985 में अजित जोगी कलेक्टर थे। अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और बेबाक बयानबाजी के कारण उस समय वह चर्चित रहते थे। एक रोज कलेक्टर बंगले में देर रात फोन बजता है। एक कर्मचारी फोन उठाकर बताया है कि कलेक्टर साहब सो रहे हैं। दूसरी ओर से एक आदेश देती आवाज आती है... 'कलेक्टर साहब को उठाकर बात कराइए'।

साहब अब फोन लेते हैं। हेलो कहते ही दूसरी ओर से कहा जाता है, 'तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं... सोच लो। राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है। दिग्विजय सिंह लेने आएंगे, उनको फैसला बता देना'। यह कॉल था तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए वी. जॉर्ज का।

उस कॉल के ढाई घंटे बाद जब दिग्विजय सिंह कलेक्टर आवास पहुंचे तो जोगी नौकरशाह से जनप्रतिनिधि बन चुके थे। कुछ ही दिन बाद उनको ऑल इंडिया कमेटी फॉर वेलफेयर ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट एंड शेड्यूल्ड ट्राइब्स का सदस्य बना दिया गया। इसके कुछ ही महीनों वह राज्यसभा के सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे 1998 तक राज्यसभा सदस्य रहे। साल 1998 हुए लोकसभा चुनाव में रायगढ़ से सांसद चुने गए।

2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना, तो अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने। वे 2003 तक सीएम रहे। 2016 में कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बना ली।