श्रीनगर। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पहली बार प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को फर्जी क्रिप्टोकरेंसी स्कीम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत छापेमारी की। इस बात की जानकारी प्रवर्तन निदेशालया के अधिकारियों ने पत्रकारों को दी है।
विभाग ने ए.आर. मीर और उनके सहयोगियों के बारे में लद्दाख के लेह, जम्मू और कश्मीर के जम्मू और हरियाणा के सोनीपत में कम से कम छह स्थानों पर तलाशी ली।
आरोप है कि 2,508 निवेशकों ने “इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड” के नाम से एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी व्यवसाय में 7.34 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए। हालांकि, उन्हें कोई रिटर्न या मुद्रा वापस नहीं मिली और इन निधियों को व्यवसाय के प्रमोटरों ने जम्मू में भूमि संपत्ति खरीदने के लिए लूट लिया।
“इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड” को 28 सितंबर, 2017 को लंदन में पंजीकृत कार्यालय के साथ शामिल किया गया था। श्री नरेश गुलिया और श्री चन्नी सिंह भारत में इसके प्रमोटर थे।
एजेंसी ने लेह के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की शिकायत के आधार पर तलाशी अभियान शुरू किया। शिकायत में एआर मीर और अजय कुमार चौधरी को आरोपी बताया गया है। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गठित पैनल द्वारा की गई जांच में पता चला कि एआर मीर और उनके एजेंट लेह के अंजुमन मोइन-उल कॉम्प्लेक्स में एक कार्यालय से इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड नाम से नकली क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार चला रहे थे। जांच के बाद पैनल ने कार्यालय को बंद कर दिया।
एक विस्तृत योजना में, व्यक्तियों को मोबाइल ऐप के माध्यम से नकदी, बैंक हस्तांतरण या बिटकॉइन एक्सचेंज के माध्यम से नकली क्रिप्टोकरेंसी, एमोलिएंट कॉइन खरीदने के लिए लुभाया गया। घोटाले ने निवेशकों को 10 महीने की लॉक-इन अवधि के बाद 40% तक का रिटर्न देने का वादा किया। इसके अतिरिक्त, निवेशकों को दूसरों को भर्ती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे प्रत्यक्ष रेफरल के लिए 7% तक का कमीशन कमाया जा सके। इस बहु-स्तरीय विपणन संरचना ने दूसरे स्तर पर 3% और दसवें स्तर तक के बाद के स्तरों के लिए 1% का अतिरिक्त
कमीशन दिया, जिससे एक जटिल और भ्रामक वित्तीय जाल बना।
प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने आगे बताया कि जांच के दायरे में आए व्यक्ति श्री ए.आर. मीर ने श्री अजय कुमार चौधरी के साथ मिलकर एक रियल एस्टेट व्यवसाय शुरू किया था। दोनों ने एमोलिएंट कॉइन्स लिमिटेड के माध्यम से जुटाए गए फंड से जम्मू में कई जमीनें खरीदीं।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला मार्च 2020 में लेह में दर्ज की गई एफआईआर और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (जे-के) में मीर और अजय कुमार चौधरी के खिलाफ दर्ज कुछ अन्य शिकायतों से उपजा है।