लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जाने को लेकर बहस एक बार फिर से तेज हो गई है, हालांकि चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि अभी वह पूरे देश में एकसाथ चुनाव कराने की स्थिति में नहीं है। इस पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तंज कसा है। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी का देशप्रेम कोरा दिखावा है।
कांग्रेस ने कहा कि यदि एक साथ चुनाव कराए जाने हैं तो कुछ अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव पहले कराए जाए और साथ ही लोकसभा को भंग कर दिया जाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान में संशोधन के बगैर एकसाथ चुनाव संभव नहीं है। चुनावों को एकसाथ कराने का सिर्फ एक तरीका है और वह यह है कि मोदीजी को आम चुनाव पहले कराने के लिए लोकसभा भंग कर देना चाहिए। हम इसका स्वागत करेंगे।
अशोक गहलोत की यह टिप्पणी उस बयान के बाद आई है जिसमें कहा गया है कि सरकार अगले साल कुछ राज्यों में पहले व कुछ राज्यों में देरी कर 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव कराने पर विचार कर रही है। गहलोत ने कहा, 'अगर वे लोकसभा को पहले भंग कर ऐसा करते हैं तो हम लोकसभा व राज्य विधानसभा चुनाव दोनों एक साथ लड़ने के लिए तैयार हैं।'
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा करने के प्रति गंभीर व ईमानदार नहीं है और इसका सिर्फ राजनीतिक रूप से फायदा लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ इसे दिखा रहे हैं कि वे राष्ट्र के बारे में बहुत चिंतित हैं और चुनाव पर होने वाला खर्च बहुत ज्यादा है। वे सिर्फ इस पर राजनीति खेल रहे हैं।
राजस्थान की मतदाजा सूचियों में गड़बड़ी के बारे में शिकायत करने के लिए निर्वाचन आयोग गए गहलोत के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि राज्य विधानसभाओं की अवधि बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी।
तन्खा ने यह भी कहा कि अगर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव टालने की कोशिश करती है तो वह अदालत जाएंगे।