झारखंड की रांची सेंट्रल जेल में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चौथे मामले में दोषी करार दिया गया है। इस तरह अब तक चारा घोटाले के 6 में से 4 केस में लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया। उनके साथ महेंद्र सिंह बेदी, अधीप चंद, ध्रुव भगत और आनंद कुमार भी बरी कर दिए गए हैं। मामले में लालू की सजा पर बहस 21, 22 और 23 मार्च को होगी। चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 38ए/96 में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव सहित 18 आरोपियो को दोषी करार दिया है। 6-6 के ग्रुप में सजा सुनाई जाएगी।
कोर्ट के फैसले पर आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि एक केस में एक आरोपी को जेल और दूसरे को बरी कर दिया जाता है। यह नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी का खेल है।
लालू यादव इन दिनों बीमार चल रहे थे और उन्हें रांची इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में भर्ती कराया गया था। वह पिछले तीन दिनों से हॉस्पिटल में भर्ती थे। जिसकी वजह से आज कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं। इस मामले में लालू और और जगन्नाथ समेत 31 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने आरोप-पत्र दाखिल किया था।
यह है मामलाबता दें, यह मामला दुमका कोषागार से अवैध निकासी से जुड़ा है। दुमका कोषागार से करीब 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी को लेकर सीबीआई ने 1996 में एफआईआर दर्ज की थी। राशि की निकासी 1995 से 1996 के बीच हुई थी। मामले की जांच के बाद सीबीआई ने 11 अप्रैल 1996 को रिपोर्ट दर्ज की थी। चारा घोटाले में लालू प्रसाद के खिलाफ पांच मुकदमे सीबीआई ने दर्ज किए है।
आपको बता दें कि कि लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र तथा अन्य पहले से ही चारा घोटाला के तीन मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद से बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। चारा घोटाला के दुमका कोषागार मामले में तीन करोड़, तेरह लाख रुपये का गबन हुआ था।
इससे पहले सीबीआई अदालत ने पहले लालू की उस नयी याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें उनके वकील आनंद ने चारा घोटाले के इस मामले में बिहार के तत्कालीन महालेखा परीक्षक, उपमहालेखा परीक्षक तथा महालेखाकार कार्यालय के निदेशक पर संलिप्तता का मुकदमा चलाने की मांग की थी। अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लालू ने इन तीनों को भी नोटिस जारी कर इस मामले में सह अभियुक्त बनाने का अनुरोध किया था।
अदालत ने संबद्ध तीनों अधिकारियों को तीन सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए समन जारी किये। लालू प्रसाद ने अपने वकील के माध्यम से पूछा था कि अगर इतना बड़ा घोटाला बिहार में हुआ तो उस दौरान 1991 से 1995 के बीच बिहार के महालेखाकार कार्यालय के अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी? यह याचिका बुधवार को ही दायर की गयी थी।
इससे पहले इसी वर्ष 24 जनवरी को लालू प्रसाद एवं जगन्नाथ मिश्र को सीबीआई की विशेष अदालत ने चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये का गबन करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में दोषी करार देते हुए पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं क्रमशः दस लाख एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा मामले में कुल 50 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनायी थी।