मोदी सरकार ने कंपनियों को दिया 1.45 लाख करोड़ का दिवाली गिफ्ट, लिए ये 6 बड़े फैसले

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi) ने दिवाली से पहले कंपनियों को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax) में कटौती का ऐलान किया है। कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के ऐलान से घरेलू कंपनियों और नई कंपनियों के लिए है। निर्मला सीतारमण ने कहा कॉरपोरेट टैक्स को अध्यादेश के जरिए कम किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा है कि बिना किसी छूट के कॉरपोरेट टैक्स 22 फीसदी होगा। इसके साथ ही मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए भी टैक्स घटेगा। साथ ही, MAT यानी मिनिमम अल्टरनेट टैक्स को खत्म करने का फैसला किया है। इसके अलावा कैपिटल मार्केट के लिए कैपिटल गेन टैक्स पर बढ़े हुआ सरचार्ज घटा दिया है। इन फैसलों से ज्यादातर कॉर्पोरेट्स में खुशी की लहर दौड़ गई है। केंद्र सरकार के इस ऐलान के साथ ही शेयर बाजार के सेंसेक्‍स में 2000 अंकों से अधिक की तेजी देखने को मिली तो निफ्टी 500 अंक तक मजबूत हुआ। इस बीच, निवेशकों को कारोबार के दौरान 5 लाख करोड़ से अधिक का मुनाफा हुआ है। दोपहर 2:30 बजे सेंसेक्‍स की बढ़त 2200 अंक तक पहुंच गई और यह 38 हजार 250 के स्‍तर को पार कर गया। निफ्टी 600 अंक से अधिक मजबूत होकर 11 हजार 300 के आंकड़े को पार कर लिया।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और GDP विकास दर की रफ्तार को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से अब तक का उठाया गया सबसे बड़ा कदम है।

सरकार की ओर से हुए 6 बड़े ऐलान...

कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती-

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा ऐलान करते हुए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया है। जो की वित्त वर्ष 2019-20 से लागू होगा। इस फैसले के तहत घरेलू कंपनियों को 22 फीसदी की दर से टैक्स का भुगतान करना होगा। इसमें शर्त यह होगी कि उस कंपनी को कोई छूट या इन्सेंटिव का फायदा नहीं मिलेगा। साथ ही, अब घरेलू कंपनियों पर प्रभावी टैक्स रेट सभी सरचार्ज और सेस मिलाकर 25.17 फीसदी होगा। मौजूदा कॉरपोरेट टैक्स रेट 30 फीसदी है जो अब 22 फीसदी हो जाएगा। वित्त मंत्री ने बताया कि कॉर्पोरेट टैक्स घटाने और अन्य रियायतों से सरकार के खजाने पर 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सरकार के इस फैसले के बाद एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे कंपनियों पर टैक्स बोझ घटेगा और मुनाफे में बढ़ोतरी होगी। कंपनियां अपने विस्तार के बारे में भी सोच सकती है।

मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट

मेक इन इंडिया को बूस्ट करने के लिए वित्त मंत्री ने मैन्युफैक्चरिंग में नए निवेश करने के लिए नया ऐलान किया है। 1 अक्टूबर 2019 के बाद मैन्युफैक्चरिंग कंपनी स्थापित करने वालों को 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर सेस और सरचार्ज मिलाकर टैक्स रेट 17.01 फीसदी होगा। लेकिन इन कंपनियों का प्रोडक्शन 31 मार्च 2023 से पहले लागू होना चाहिए। इन कंपनियों को भी मैट से राहत मिलेगी। इस तरह नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए टैक्स रेट 25 फीसदी से घटकर 15 फीसदी रह गया है। सरकार के इस फैसले के बाद यह मानना है कि चीन की कंपनियां अपना प्लांट भारत में लगा सकती हैं, क्योंकि ये टैक्स छूट काफी बड़ी है। मैन्युफैक्चरिंग में निवेश बढ़ने पर देश में ज्यादा पैसा आएगा और लोगों में रोजगार भी बढ़ेगा।

कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) पर सरचार्ज खत्म

वित्त मंत्री ने बड़ा फैसला लेते हुए एफपीआई से सरचार्ज खत्म कर दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्‍‍‍‍‍‍‍‍टमेंट के कैपिटल गेन टैक्स पर बढ़ा सरचार्ज लागू नहीं होगा। इस फैसले के बाद शेयर बाजार में उछाल देखा गया है। सेंसेक्स-निफ्टी रिकॉर्ड स्तर पर चल रहे है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये तेजी आगे कुछ और दिन तक बनी रहगी।

कैपिटल गेंस टैक्स क्‍या होता है?

यहां बता दें कि कैपिटल गेन 2 तरह के होते हैं- पहला लॉन्ग टर्म और दूसरा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन। वर्तमान में 3 साल से कम समय में बेचे जाने वाली रकम पर मुनाफे को शॉर्ट टर्म जबकि 3 साल से ज्यादा समय के बाद बेचे जाने वाली संपत्‍त‍ि पर के मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल कहा जाता है। वहीं शेयर के मामले में लॉन्‍ग टर्म कैपिटल 1 साल से अधिक को माना जाता है। आम बजट में लॉन्‍ग टर्म के कैपिटल गेन पर सरचार्ज को बढ़ा दिया गया था।

शेयर बायबैक (Share Buy Back) पर टैक्स से छूट

5 जुलाई 2019 से पहले शेयर बॉयबैक का एलान करने वाली लिस्टेड कंपनियों को बॉयबैक टैक्स से छूट का ऐलान भी किया गया है।

क्‍या होता है शेयर बायबैक


कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है। आमतौर पर कंपनियों की बैलेंसशीट में अतिरिक्त नकदी होता है तभी बायबैक पर जोर देती हैं। कंपनी के पास बहुत ज्यादा नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे यह अनुमान लगाया जाता है कि कंपनी अपने नकदी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। यही वजह है कि बायबैक के जरिए कंपनी अपने अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल करती है।

सरकार ने खत्म किया MAT

वित्त मंत्री ने इन्सेंटिव या छूट का लाभ लेने वाली कंपनियों को राहत देने के लिए मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) में राहत दी है। उन्हें अब मौजूदा 18.5 फीसदी की बजाय 15 फीसदी की दर से मैट देना होगा। इसके अलावा, 22 फीसदी इनकम टैक्‍स देने वाली कंपनियों और नई मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट लगाने वाली कंपनियों को भी मैट से राहत मिलेगी। साथ ही, कुछ कंपनियों के लिए MAT को खत्म कर दिया गया है।

अब क्या होगा

MAT को खत्म करने के बाद अब घाटा होने पर कंपनियों को टैक्स नहीं देना होगा। सराकर ने 1987 में पहली बार मैट का ऐलान किया था। सरकार का मकसद सभी कंपनियों को टैक्स के दायरे में लाना था। कंपनियों पर टैक्स की गणना मैट और सामान्य तरीके दोनों से होती है। नियमों के मुताबिक, जिसमें भी ज्यादा टैक्स आता था वो ही कंपनी को चुकाना होता था।

2 फीसदी CSR खर्च में छूट


वित्त मंत्री ने बताया कि कंपनियों के 2 फीसदी सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) खर्च में अब सरकार, पीएसयू इन्क्यूबेटर्स और सरकारी खर्च से चलने वाले संस्थान, आईआईटी भी शामिल होंगे। इसका मतलब यह है कि कंपनियां अब इन्क्यूबेशरन, आईआईटी, एनआईटी और नेशनल लैबोरेट्रीज पर भी अपना 2 फीसदी सीएसआर खर्च कर सकेंगी। सीतारमण ने भरोसा जताया कि टैक्स छूट से मेक इन इंडिया में निवेश आएगा, रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ावा मिलेगा।