दिल्ली : फिरोज शाह कोटला का नाम अब अरुण जेटली स्टेडियम होगा

दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने मंगलवार को पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली (Arun Jaitley) के सम्मान में फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली के नाम पर रखने की फैसला किया। जिनका पिछले सप्ताह शनिवार को निधन हो गया था। इस स्टेडियम को अब अरुण जेटली स्टेडियम के नाम से जाना जाएगा। इसका नया नामकरण 12 सितंबर को एक समारोह में किया जाएगा। इसमें एक स्टैंड का नाम भारत के कप्तान विराट कोहली के नाम पर रखा जाएगा जैसा कि पहले घोषित किया गया था।

डीडीसीए अध्यक्ष रजत शर्मा ने कहा, 'ये अरुण जेटली का समर्थन और प्रोत्साहन था कि विराट कोहली, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, आशीष नेहरा, ऋषभ पंत और कई अन्य खिलाड़ी भारत को मिल सके।'

डीडीसीए में अपने कार्यकाल के दौरान जेटली को स्टेडियम को आधुनिक सुविधा में बदलने का श्रेय दिया जाता है, जिससे विश्व स्तरीय ड्रेसिंग रूम के निर्माण के अलावा अधिक प्रशंसकों को समायोजित करने की क्षमता बढ़ जाती है।

समारोह जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में होगा, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और खेल मंत्री किरन रिजिजू भी हिस्सा लेंगे। निधन पर भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली के अलावा वीरेंदर सहवाग, शिखर धवन, इशांत शर्मा, वीवीएस लक्ष्मण सहित कई दिग्गज क्रिकेटरों और बीसीसीआई ने पूर्व वित्त मंत्री के निधन पर शोक व्यक्त किया था। जेटली DDCA के 1999 से 2013 तक अध्यक्ष रहे थे। जेटली का 24 अगस्त को निधन हो गया था।

इस बीच पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर मांग की है कि यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का नाम अरुण जेटली के नाम पर किया जाना चाहिए। गंभीर ने ट्विटर पर लिखा, ‘अरुण जेटली के लिए हम सभी के मन में सम्मान है। हम चाहते हैं कि वे हमारे दिलों में हमेशा रहें। इसलिए मैं प्रिय नेता के सम्मान में यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का नाम बदलकर अरुण जेटली स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स रखे जाने का प्रस्ताव रख रहा हूं।’

उल्लेखनीय है कि जब जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे, तब दिल्ली और आसपास के क्षेत्र से कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके। गंभीर के अलावा वीरेंदर सहवाग, विराट कोहली, शिखर धवन और इशांत शर्मा ऐसे कुछ खिलाड़ी हैं, जिन्होंने उनके कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया। जेटली क्रिकेट प्रशंसक थे और बीसीसीआई के अधिकारी भारतीय क्रिकेट के संबंध में कोई भी नीतिगत फैसला लेने से पहले उनकी सलाह लेते थे।