प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में अपने गले मिलने को लेकर भाजपा पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि अब भगवा पार्टी के सांसद उन्हें देखते हीं दो कदम पीछे हो जाते हैं कि कहीं वह उन्हें भी गले ना लगा लें। उन्होंने यह बात पिछले शुक्रवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गले मिलने के वाकये के बाद भाजपा द्वारा खुद की जा रही आलोचना के संदर्भ में कही।
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने भाषण के बाद प्रधानमंत्री से गले मिलने को लेकर भाजपा के नेता राहुल की काफी आलोचना कर रहे हैं। हालांकि राहुल ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ उनके मतभेद हैं और वह उनसे लड़ सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह उनसे नफरत करें।
एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनकी विचारधारा सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से अलग है और वह उनसे संघर्ष करते रहेंगे लेकिन वह उनसे नफरत नहीं कर सकते हैं। इस बात को समझना बहुत ही अहम है। राहुल गाँधी ने कहा 'आप पूरी शक्ति के साथ किसी से लड़ सकते हैं लेकिन नफरत करने की बात आप पर निर्भर करती है। मेरे ख्याल से इसे समझना बहुत जरूरी है। आडवाणी (लालकृष्ण आडवाणी) से मेरे विचार अलग हो सकते हैं, देश को लेकर उनकी और मेरी राय बिल्कुल जुदा हो सकती है। मैं हर कदम पर उनसे लड़ सकता हूं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि मैं उनसे नफरत करूं।' इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल हुए। उधर, राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने कहा कि पीएम मोदी को गले लगाने का आइडिया करीब तीन-चार महीने पहले राहुल गांधी को आया, जब वह पीएम मोदी को गांधी परिवार, मां सोनिया गांधी की आलोचना करते सुने थे। यही वजह है कि पीएम मोदी के इस क्रोध, आलोचना और घृणा को काउंटर करने के लिए राहुल ने यह तरीका अपनाया। राहुल गांधी ने सोचा कि सार्वजनिक तौर पर प्यार का प्रदर्शन करना ही पीएम का बेहतर काउंटर होगा।