जमीन समाधि सत्याग्रह से चर्चाओं में आए नींदड़ के किसानों ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा, किया जेडीए का घेराव

जयपुर। वर्ष 2020 में जमीन समाधि सत्याग्रह से चर्चाओं में आने वाला नींदड़ गाँव एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है। नींदड़ गांव के किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जेडीए की आवासीय कॉलोनी में भूमि अवाप्ति को लेकर 2010 से संघर्ष कर रहे किसानों ने अब तक कोई हल नहीं निकलने के चलते बुधवार को जेडीए का घेराव किया।

वर्ष 2020 में नींदड़ की जबरन जमीन अवाप्ति के विरोध में नींदड़ के किसानों एवं कॉलोनीवासियों के द्वारा लगभग 2 महीने तक किए गए जमीन समाधि सत्याग्रह आंदोलन के दौरान 15 मार्च 2020 को राज्य सरकार से हुए समझौते के आधार पर जेडीए ने यह मामला राज्य सरकार की एंपावर्ड कमेटी को सौंप दिया, लेकिन एंपावर्ड कमेटी को सौंपे जाने के बाद आज 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी समिति के पदाधिकारियों की एंपावर्ड कमेटी से मीटिंग आज तक मीटिंग नहीं हुई। जिसके विरोध में स्थानीय निवासियों ने जेडीए में प्रदर्शन किया।

नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के संयोजक नगेन्द्र सिंह ने बताया कि जेडीए के द्वारा नींदड़ आवासीय योजना की आड़ में एक बार फिर से आरक्षण पत्रों के वितरण के नाम पर जमीन के बदले जमीन घोटाले का कार्य खुलेआम किया जा रहा है।

किसानों की प्रमुख मांगें

1. नींदड़ आवासीय योजना के तहत जेडीए की ओर से की जाने वाली किसी भी तरह की कार्रवाई को तुरंत प्रभाव से स्थगित किया जाए। जमीन के बदले जमीन घोटाले की सीबीआई जांच हो।

2. वर्ष 2017 और वर्ष 2020 में जेडीए तथा राज्य सरकार के द्वारा किए गए समझौते की अनुपालना सुनिश्चित की जाए। वर्ष 2017 और वर्ष 2020 में जेडीए तथा राज्य सरकार से हुए समझौतों की अनुपालना सुनिश्चित किए जाने पर जो भी निर्णय निकल कर सामने आता है, उसके आधार पर नींदड़ की जमीन अवाप्ति को निरस्त किया जाए।

3. फिर भी अगर सरकार नींदड़ की जमीनों को अवाप्त करना चाहती है तो नये भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के अनुसार अवाप्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। नींदड़ की अवाप्ति से प्रभावित हुए कॉलोनीवासियों को निःशुल्क जेडीए पट्टे प्रदान किए जाएं।

योजना निरस्त करने की मांग

संघर्ष समिति का आरोप है कि एंपावर्ड कमेटी के द्वारा नींदड़ आवासीय योजना के संदर्भ में अभी तक कोई निर्णय नहीं किए जाने के बावजूद नींदड़ के किसानों व कॉलोनीवासियों के राज्य सरकार के साथ हुए समझौते के विरुद्ध जेडीए मनमाने तरीके से तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते हुए ना केवल नींदड़ में जबरन काम करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि आरक्षण पत्र वितरण के द्वारा जमीन के बदले जमीन घोटाले को अंजाम देकर गरीब किसानों और कॉलोनीवासियों के साथ अन्याय कर रहा हैं। ऐसे में नींदड़ आवासीय योजना को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए।