किसान मार्च: दिल्ली में किसानों का आंदोलन खत्म, 15 में से 7 मांगें सरकार ने मानी

दिल्ली-एनसीआर निवासियों के लिए राहत की खबर है। किसानों ने अपना आंदोलन Farmer Agitation Delhi खत्म कर दिया है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे देश भर के किसानों के प्रति रुख में नरमी लाते हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार रात 12.40 बजे किसानों के जत्थे को दिल्ली में किसान घाट जाने की इजाजत दे दी। इसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच किया। इसके लिए गाजियाबाद एसएसपी ने बसों का इंतजाम भी किया। कुछ मांगों पर सहमति नहीं बनने के बावजूद किसानों ने आंदोलन खत्म कर अपने-अपने घर लौट जाने का फैसला किया। NH 24 को दोनों तरफ वाहनों के लिए खोल दिया गया है। यातायात सामान्य है। हालांकि किसानों की सड़कों पर आवाजाही को ध्यान में रखते हुए गाजियाबाद के स्कूलों को बंद रखने का प्रबंधन ने फैसला किया है।

किसानों के गुजरने वाले स्थान पर एहतियातन पुलिस कड़ी नजर रखे हुए है। उधर 15 सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली धमके किसानों को केंद्र सरकार ने बुधवार को तड़के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत दे दी। इससे पुलिस कर्मियों और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया।

आंदोलनकारियों के दिल्ली के किसान घाट पहुंचने के साथ ही किसानों का आंदोलन खत्म हो गया। दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रमुख नरेश टिकैत की अगुआई में हजारों किसान 200 से अधिक ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसान घाट पहुंचे। टिकैत ने इसे किसानों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार अपने उद्देश्यों में विफल रही है।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैट ने कहा कि, किसान घाट पर फूल चढ़ाकर हम अपना आंदोलन खत्म कर रहे हैं। 23 सितंबर को शुरू हुई 'किसान क्रांति पदयात्रा' को दिल्ली के किसान घाट में समाप्त करना पड़ा। चूंकि दिल्ली पुलिस ने हमें प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी, इसलिए हमने विरोध किया। हमारा लक्ष्य यात्रा को पूरा करना था जो किया गया है। अब किसान अपने गांवों की ओर वापस जा रहे हैं।

टिकैत ने कहा कि "सभी कठिनाइयों के बावजूद किसान जुटे रहे। हम अब 12 दिनों से मार्च कर रहे हैं। किसान थके हुए हैं। हम सरकार से अधिकारों की मांग जारी रखेंगे, लेकिन अब हम पदयात्रा खत्म कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि किसान बुधवार को सुबह जल्दी लौट जाएंगे। उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच किसानों को प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दे दी। इससे वे राष्ट्रीय राजधानी तक की अपनी तय यात्रा पूरी कर सके। भाजपा के विरोध में नारेबाजी करते हुए किसान बुधवार को रात में लगभग दो बजे किसान घाट पहुंचे। इससे पहले मंगलवार को हजारों किसानों की पदयात्रा को पुलिस ने दिल्ली-यूपी की सीमा पर रोक दिया था। इस दौरान पुलिस के बल प्रयोग से कुछ किसान घायल भी हो गए।

किसानों ने अपनी 15 मांगें सरकार के सामने रखीं जिनमें कर्ज माफी और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांगें भी शामिल हैं। इन मांगों को अविलंब पूरा किए जाने का आश्वासन सरकार की ओर से दिया गया। आंदोलनकारी किसानों ने 10 दिन पहले हरिद्वार से पदयात्रा शुरू की थी। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में निकली यह पदयात्रा मंगलवार को दिल्ली-यूपी की सीमा पर पहुंची। इस दौरान सीमा पर बड़ी तादाद में सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी।

किसानों की 15 मांगें, 7 मांगें जो मान ली गई
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक दर्जा देने और देश भर के किसानों की सभी फसलों और सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन द्वारा सुझाए गए फार्मूले के अनुसार घोषित किया जाए।

2. किसानों के सभी तरह के कर्ज माफ किए जाएं।

3. एनजीटी ने 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी है। इसे हटाया जाए।

4. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ के बजाय बीमा कंपनियों को लाभ मिल रहा है। योजना में किसानों के हितों के अनुसार बदलाव कर प्रीमियम का पूर्ण भुगतान सरकारों द्वारा किया जाए।

5. किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित की जाए। लघु व सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद कम से कम 5,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए।

6. देश में नीलघोड़ा, जंगली सुअर जैसे आवारा पशुओं के लिए एक नीति बनाई जाए, जिससे किसान को नुकसान की भरपाई हो सके।

7. किसानों का बकाया गन्ना भुगतान ब्याज सहित बिना देरी भुगतान किया जाए। चीनी का न्यूनतम मूल्य 40 रुपये प्रति किलो तय किया जाए।

8. किसानों को सिंचाई हेतु नलकूप की बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाए।

9. पिछले 10 वर्ष में सरकारी रिकार्ड के अनुसार 3 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार का पुनर्वास और आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए।

10. मनरेगा को खेती से जोड़ा जाए।

11. खेती में काम आने वाली सभी वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त किया जाए।

12. कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर रखा जाए। मुक्त व्यापार समझौतों में कृषि पर चर्चा न की जाए।

13. देश में पर्याप्त मात्रा में पैदावार होने वाली फसलों का आयात बंद किया जाए।

14. देश में सभी मामलों में भूमि अधिग्रहण व पुनर्वास अधिनियम-2013 से ही किया जाए। भूमि अधिग्रहण को केंद्रीय सूची में रखते हुए राज्यों को किसान विरोधी कानून बनाने से रोका जाए।

15. किसानों की समस्याओं पर संसद का विशेष संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाए, जिसमें एक माह तक किसानों की समस्याओं पर चर्चा कर समाधान किया जाए।

7 मांगें जो मान ली गई


1. दस वर्ष से अधिक डीजल वाहनों के संचालन पर एनजीटी की रोक के खिलाफ सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। राज्यों को भी इसी की तर्ज पर कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जाएगा।

2. मनरेगा को खेती से जोड़ने के लिए पहले ही नीति आयोग ने मुख्यमंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी है। अब इसमें किसानों के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा।

3. खेती में काम आने वाली वस्तुओं पर 5 फीसदी जीएसटी करने के लिए विषय को जीएसटी काउंसिल में रखा जाएगा।

4. सरकार के बजट घोषणा के अनुसार उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी घोषित करने के निर्णय का रबी फसलों में भी अनुपालन किया जाएगा। उसी के अनुसार सभी अधिसूचित
फसलों पर घोषणा की जाएगी। साथ ही फसल खरीद की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य सरकारों को केंद्र की ओर से एडवाइजरी भेजी जाएगी, जिससे सभी फसलों का उचित दाम सुनिश्चित किया जा सकेगा।

5. पर्याप्त पैदावार होने वाली फसलों के आयात को रोकने के लिए कानून सम्मत प्रयास किया जाएगा। खरीद के लिए अनुमत अवधि को 90 दिन किया जाएगा।

6. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन के संबंध में उठाए गए मुद्दों पर कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में एक समिति बनेगी। यह फसल बीमा योजना व किसान क्रेडिट कार्ड योजना के कार्यान्वयन में आ रही परेशानियों पर किसान संगठनों से विमर्श के बाद अपनी संस्तुति देगी। इस पर सरकार किसानों के हित में निर्णय लेगी।

7. जंगली पशुओं द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान की भरपाई अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत की जाएगी। इसके लिए योजना में संशोधन किया जाएगा।