अगर आपका स्मार्टफोन चेहरा पहचानकर अनलॉक होता है तो हो जाएं सावधान

हमे यह लगता है कि चेहरे को स्मार्टफोन का पासवर्ड बनाना ज्यादा सुरक्षित और आसान है लेकिन खुद स्मार्टफोन निर्माताओं ने स्वीकार किया है कि उंगलियों के निशान और टाइपिंग वाले पासवर्ड चेहरे की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं।

सैमसंग एस9

- सैमसंग एस9 के साथ चेतावनी दी जाती है, ‘चेहरे को पहचानने वाली प्रणाली से ज्यादा सुरक्षित आईआरआईएस स्कैन, पैटर्न और पिन पासवर्ड है। आपके फोन को कोई भी आपके जैसा दिखने वाला व्यक्ति खोल सकता है।’

रेडमी नोट-5

- मोबाइल निर्माता कंपनी शियोमी ने भी ‘रेडमी नोट-5’ पर इसी तरह की चेतावनी लिखी है। वन प्लस भी इसे सिर्फ एक सुविधा वाला टूल मानता है न कि ज्यादा सुरक्षित। वह भुगतान करने के क्षेत्र में चेहरे को पहचान के तौर पर नहीं मानता है।

एप्पल का फीचर दमदार

- एप्पल का फेस आईडी चेहरे के 30 हजार अदृश्य बिंदुओं की समीक्षा करता है और इसके आधार पर खास 3डी मॉडल तैयार करता है, जो फोन की चिप में सेव हो जाता है। जब उपयोगकर्ता फोन को अनलॉक करना चाहता है, तो इन्फ्रारेड (आईआर) कैमरा इन बिंदुओं के पैटर्न को पढ़ता है और जांच के लिए आगे भेजता है। एप्पल में तो चेहरे के पासवर्ड से भुगतान का भी विकल्प है।

‘बेवकूफ’ बनाना आसान

- ‘कैस्परस्काई लैब्स’ के मुताबिक, ‘सस्ते फोन के सेंसर सिर्फ फ्रंट कैमरे पर निर्भर होते हैं और उसमें अत्याधुनिक एल्गोरिदम भी नहीं होती। इसी तरह सामान्य बिना आईआर सेंसर या डॉट प्रोजेक्टर वाले 2डी कैमरे को आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है। ऐसे मोबाइल को सोशल मीडिया की प्रोफाइल फोटो या सामान्य तस्वीर दिखाकर भी खोला जा सकता है।’

2011 में शुरुआत

- चेहरे से मोबाइल की स्क्रीन को अनलॉक करने का फीचर पहली बार 2011 में एंड्रायड 4.0 के साथ आया था। मगर उस प्रक्रिया के बहुत धीमे होने की वजह से यह सफल नहीं रहा। मार्च, 2017 में एक बार फिर से इसे लेकर रुझान बढ़ा। सैमसंग गैलेक्सी एस-8 और एस-8प्लस में इसे लॉन्च किया गया। मगर सितंबर, 2017 में एप्पल आईफोन-एक्स में इस फीचर के आने से इसकी लोकप्रियता बढ़ी।