जिस इंजीनियर ने चायनीज उत्पादों को नकारा उसी पर कर दी रेलवे ने कारवाई!

कोरोना के इस दौर में चाइना का बहुत विरोध हुआ और कई देशों ने तो चीन का बहिष्कार भी किया। भारत में भी चाइना से आयात हो रहे उत्पादों पर रोक लगी। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय ने निर्देश भी दिए कि सरकारी तंत्र में कोई भी तकनीक या उत्पाद चाइना का न हो। ऐसे में रेलवे के एक इंजीनियर ने चायनीज उत्पादों को नकारा जिसकी सजा रेलवे ने ही उन्हें दे दी। उत्तर-पश्चिम रेलवे के विजिलेंस विभाग और जयपुर मंडल ने उसे न सिर्फ चार्जशीट दी बल्कि 6 माह की वेतनवृद्धि भी रोक दी। इंजीनियर ने जिस कंपनी के मेड इन चाइना प्रोडक्ट लेने से मना किया था, उसने अब दूसरे नाम से नई कंपनी बना ली है। प्रोडक्ट पर अंकित ‘मेड इन चाइना’ भी हटा लिया ताकि प्रोडक्ट रिजेक्ट न हो।

रेलवे के जयपुर मंडल ने मई 2020 में टेलिफोन (वाॅकी-टॉकी) की खरीद की। इसके लिए ऑनलाइन जेम पोर्टल पर टेंडर जारी किया। इसमें एक निजी कंपनी ने भी आवेदन किया लेकिन संबंधित विभाग के इंजीनियर ने उसका प्रोडक्ट यानी वाॅकी-टॉकी लेने से मना कर दिया। इंजीनियर की दलील थी कि कंपनी का प्रोडक्ट रेलवे की जरूरत पर खरा नहीं है और मेड इन चाइना है। कंपनी ने शिकायत की तो रेलवे विजिलेंस ने विभाग के प्रमुख से कहा कि इंजीनियर को सजा दें। सीनियर डीएसटीई ने जांच किए बिना ही इंजीनियर को चार्जशीट दे 6 माह की वेतनवृद्धि रोक दी। रेलवे के सूत्रों का कहना है कि कंपनी के प्रोडक्ट चाइना में बनते हैं, असेंबल इंडिया में किया जाता है।