राजस्थान में गहराया बिजली संकट, उद्योगों की आपूर्ति में होगी कटौती, किसानों और आम जनता को दी जाएगी बिजली

जयपुर। राजस्थान में बिजली संकट गहराता जा रहा है। किसानों द्वारा लगातार इस मामले में प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया है। किसानों ने खेतों में मूंगफली, मक्का, मूंग, सब्जियां बो रखी हैं। इन फसलों को सिंचाई के लिए पानी की ज़रूरत है। ट्यूबवेल चलाने के लिए बिजली चाहिए। लेकिन बिजली सप्लाई कई जगह बाधित हो रही है। नोखा, बारां, डीग, चूरू, टोंक समेत कई ज़िलों में किसानों ने प्रदर्शन किया और डिस्कॉम कार्यालय में घेराव कर ज्ञापन दिए हैं।

ऐसे में राज्य सरकार ने आम उपभोक्ताओं और किसानों के हित में उद्योगों की बिजली कटौती कर आमजन और किसानों को बिजली उपलब्ध करवाने का निर्णय किया है। मंगलवार देर रात सीएम अशोक गहलोत ने बिजली विभाग की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया।

राजस्थान में बिजली की अधिकतम डिमांड 16,500 मेगावाट पहुंच गई है। बिजली की खपत 900 लाख यूनिट बढ़ गई है, जबकि प्रोडक्शन घटा है, क्योंकि कोटा थर्मल पावर प्लांट में पांच दिन में दो पावर यूनिट ठप हो गई हैं। हालात ये हैं कि महंगी बिजली खरीदने को सरकार तैयार है, लेकिन एनर्जी एक्सचेंज से ज़रूरत जितनी बिजली मिल ही नहीं रही है। बिजली संकट के हालातों के बीच सीएम अशोक गहलोत ने समीक्षा बैठक की।

राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में दिन में कृषि बिजली उपलब्ध करवाने का निर्णय किया गया था, जिसके तहत अधिकांश जिलों में दिन में कृषि बिजली दी जा रही है। लेकिन अब फैसला लिया गया है कि अचानक बढ़े कृषि बिजली लोड के कारण ज़रूरत के मुताबिक कुछ जिलों में रात को कृषि बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी।

अगस्त में बारिश की कमी के कारण अचानक बढ़ी बिजली की डिमांड

मुख्यमंत्री गहलोत को बिजली कंपनियों और विभाग के अफसरों और इंजीनियर्स ने बताया कि जून-जुलाई 2023 में हुई ज़्यादा बारिश के कारण ऐतिहासिक रूप से फसलों की बुआई बढ़ गई और अब अगस्त में बारिश की कमी से अचानक बिजली की डिमांड बढ़ गई है। पहले अगस्त में कृषि बिजली की डिमांड बारिश के कारण कम होती थी, क्योंकि कृषि में बोरवेल और सिंचाई के उपकरण चलाने की ज़रूरत कम होती थी। लेकिन पिछले एक सप्ताह में राज्य और उत्तर भारत की बिजली डिमांड ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है।

महंगी बिजली खरीदने को तैयार

अफसरों ने बताया कि सरकार महंगी रेट्स पर बिजली खरीदने को भी तैयार है। लेकिन बिजली एक्सचेंज में ज़रूरत जितनी पूरी बिजली उपलब्ध नहीं हो रही है। अचानक लोड बढ़ने कारण ट्रांसफॉर्मर ट्रिपिंग की समस्या आने लगी है। एक दिन पहले ही जयपुर में हीरापुरा ग्रिड सब स्टेशन (GSS) पर बड़ी ट्रिपिंग के कारण बिजली आपूर्ति बाधित रही।

इसी तरह से चित्तौड़गढ़ में 315 केवीए के ट्रांसफॉर्मर की ट्रिपिंग के कारण मेवाड़ में बिजली की समस्या आई थी। केरल से इंजीनियरों की टीम आकर इस समस्या का सॉल्यूशन करेगी, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। राज्य में बिजली कटौती की स्थिति में बेहद सुधार हुआ है, जिससे मंगलवार को बिजली की घोषित कटौती नहीं की गई।

क्या है पूरा मामला?

प्रदेश में 3475 लाख यूनिट बिजली की मौजूदा ज़रूरत है। लेकिन आपूर्ति 3265 लाख यूनिट ही मिल पा रही है। 210 लाख यूनिट बिजली की कमी है।

पिछले साल अगस्त में बिजली की औसत खपत 2300 लाख यूनिट प्रतिदिन थी। इस बार सप्लाई रोजाना 3000 लाख यूनिट से ज्यादा है। 18 अगस्त को अब तक की सर्वाधिक 3519 लाख यूनिट बिजली सप्लाई की गई।

16 अगस्त को 3331 लाख यूनिट, 17 अगस्त को 3431 लाख यूनिट, 18 अगस्त को 3519 लाख यूनिट, 19 अगस्त को 3448 लाख यूनिट, 20 अगस्त को 3279 लाख यूनिट, 21 अगस्त को 3265 लाख यूनिट बिजली सप्लाई हुई। लेकिन फिर भी आपूर्ति कम पड़ रही है।

प्रदेश के ऊर्जा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी भास्कर ए. सावंत ने बताया कि बारिश कम होने से बिजली की डिमांड बढ़ी है। उत्तरी भारत में बिजली की डिमांड बढ़ने से पीक ऑवर्स में एनर्जी एक्सचेंज से भी बिजली नहीं मिल रही है। बिजली सप्लाई सुचारू करने की कोशिशें जारी हैं।