दशहरे की सही तिथि को लेकर उठे विवाद का हल मिल गया है। जयपुर में आयोजित हुई धर्मसंसद में प्रदेशभर से जुटे ज्योतिष विद्वानों और धर्मगुरुओं ने सर्वसम्मति से 18 अक्टूबर को दशहरे की सही तिथि निश्चित की है। ज्योतिषों के अनुसार इस बार 18 अक्टूबर को शाम 5.52 से 7.30 के बीच प्रदोषकाल में रावण दहन श्रेष्ठ मुहूर्त होगा। दशहरे की सही तिथि के संबंध में हो रही भ्रम की स्थिति को लेकर जयपुर के राजकीय महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय में ज्योतिष विद्वानों और धर्मगुरुओं ने धर्मसंसद आयोजित की गई थी। धर्मसंसद के आयोजक प्रो। भास्कर शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन होने वाले संयोग 19 अक्टूबर की बजाय 18 अक्टूबर को दोपहर बाद होगा। ऐसे में सभी ने एक मत से 18 अक्टूबर को दशहरे की सही तिथि घोषित की गई।
देश में समय के अनुसार यह संयोग अलग-अलग समय पर बन रहा है।ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में दशहरे की तिथि भी अलग ही होगी। इस दौरान ज्योतिष विद्वानों और धर्म गुरुओं ने यह मांग भी उठाई कि सरकार को अवकाश घोषित करने से पहले चर्चा कर लेनी चाहिए। जिससे ऐसी असमंजस की स्थिति भविष्य में न बने। धर्म संसद में ज्योतिष विद्वान पं। चंद्रशेखर शर्मा, पंडित दामोदर शर्मा, महामंडलेश्वर बालमुकुंदाचार्य, सालासर बालाजी के महंत डॉ। नरोत्तम पुजारी, डॉ. रवि शर्मा, विनोद नाटाणी आदि उपस्थित रहे। गौरतलब है की देश के अलग-अलग हिस्सों में जम्मू कश्मीर का पश्चिमार्ध (कठुआ, अनंतनाग, राजौरी, उधमपुर, जम्मू, श्रीनगर, बारामूला) हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पूर्वस्थ कुछ भाग के अलावा महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा, दमन, दीव, गोवा, कर्नाटक, केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडू में 18 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।
वहीं महाराष्ट्र के नागपुर, चंद्रपुर, गोंडिया, गढ़चिराली, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, अरुणचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, म्यांमार, त्रिपुरा, बांग्लादेश, मेघाल, भूटान, नेपाल, सिक्किम, छत्तीसढ़, देरादून, हरिद्वार, बरेली, अलीगढ़, चेन्नई सहित अन्य स्थान पर 19 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।