कोरोना फैलाने वाला चीन अब दे रहा बिमारियों के इलाज में महंगाई का दर्द, 25% तक महंगी हुई दवाइयां

पूरी दुनिया कोरोना का कहर झेल रही हैं जिसने लोगों की आर्थिक स्थिति को भी बिगाड़ दिया हैं। चीन से उठा यह कोरोना लोगों पर लहर बनकर टूटा हैं। लेकिन अब चीन की वजह से बिमारियों के इलाज में भी जेब खाली हो रही हैं। बिमारियों के इलाज में महंगाई का दर्द बढ़ गया हैं क्योंकि कोरोना फैलने के बाद दवाइयों की डिमांड बढ़ना और वहां से आने वाले कच्चे माल की कीमतों का बढ़ना है। नतीजा यह हुआ है कि पैरासिटामोल से लेकर ब्लड प्रेशर, हार्ट, न्यूरो, एंटीबायोटिक जैसी महत्वपूर्ण दवाइयों की कीमत भी 25% तक बढ़ गई।

परेशानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मरीजों को जो दवाएं 30% तक डिस्काउंट पर मिलती थीं, अब घटकर 5-7% तक रह गया है। मेडिकल संचालकों का कहना है कि दवा कंपनियों ने मार्जिन कम कर दिया है। इसलिए डिस्काउंट में कमी की गई है।

अभी देश में 12 मिलियन टन तक एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंटीग्रेडेंट) आयात किया जाता है, जिसकी कीमत 24900 करोड़ रु. तक होती है। बजट सत्र 2013-2014 में गहलोत सरकार ने उदयपुर के औद्योगिक क्षेत्र कलड़वास में फार्मास्यूटिकल जोन के लिए 64 एकड़ जमीन व 700 करोड़ रु. निवेश की घोषणा की, जो आगे नहीं बढ़ी।