Toxic Foam In Yamuna : यमुना नदी में दिखी प्रदूषण की खौफनाक तस्वीर, बिछी 'सफेद चादर', देखे वीडियो

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस समय दो बड़े संकट को झेल रही है। पहला संकट यहां कोरोना के मामले एक बार फिर दुबारा बढ़ने लगे है। मंगलवार को 6725 नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 4 लाख के पार हो गई है। दिल्ली में अब कोरोना वायरस के कुल मरीजों की संख्या 4,03,096 हो चुकी है। दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस के कारण 6652 लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना के अलावा दिल्ली हवा और पानी के प्रदूषण से भी झुझ रही है। पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ अन्य आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली के कारण राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के साथ गाजियाबाद और नोएडा में आलम यह है कि स्मॉग के चलते विजिबिलिटी भी कम हो गई है, जिससे बुधवार दोपहर में सड़कों पर वाहन चालक लाइट जलाकर चलते नजर आए। वायु गुणवत्ता स्तर में सुधार होने के बजाय यह बिगड़ गया है। दिल्ली-एनसीआर का एयर इंडेक्स बहुत ही खराब है। ज्यादातर जगहों 300 से प्रदूषण का स्तर ऊपर चल रहा है।

इसके साथ ही दिल्ली का पानी भी खराब हो गया है। यमुना नदी में प्रदूषण की वजह से जहरीला झाग (Toxic Foam) बनने लगा है। खास कर दिल्ली के कालिंदी कुंज स्थित यमुना नदी में झाग ज्यादा देखने को मिल रहा है। दूर से ही देखने पर ये झाग ऐसे लग रहे हैं मानों यमुना में सफेद बर्फ की सादर बिछी हुई है। वहीं, कई लोग इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद भी कर रहे हैं। हालांकि, यमुना नदी में झाग बढ़ना प्रवासी बिहारियों के अच्छी खबर नहीं है, क्योंकि प्रवासी बिहारी यमुना नदी में ही छठ पूजा करते हैं। ऐसे में विभिन्न प्रकार के रोग होने का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल, पिछले साल भी छठ पूजा के दौरान यमुना नदी में झाग भर गया था। ऐसे में श्रद्धालुओं को यमुना नदी में घुटने तक झाग वाले पानी में खड़े छठ पूजा करनी पड़ी थी। वहीं, ऐसी तस्वीरें सामने आने के कुछ दिन बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा गठित यमुना निगरानी पैनल ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) से नदी में इस तरह के प्रवाह का कारण पता करने और रिपोर्ट पेश करने को कहा था।

अधिकारी के अनुसार जहरीले झाग बनने के पीछे प्राथमिक कारण रंग उद्योग, धोबी घाट और परिवारों में उपयोग में लाए जाने वाले डिटर्जेंट की वजह से अपशिष्ट जल में उच्च फॉस्फेट की मात्रा है। उन्होंने कहा, 'परिवारों एवं रंग उद्योग में बड़ी संख्या में बिना ब्रांड के डिटर्जेंटों का उपयोग किया जाता है। उच्च फॉस्फेट मात्रा वाला अपशिष्ट जल अशोधित नालों के जरिए नदी में पहुंचता है।' अधिकारी के अनुसार, जब नदी सामान्य ढंग से बह रही होती है तब ये डिटर्जेंट और अन्य आर्गेनिक पदार्थ नदी तल पर जमा हो जाते हैं। जब अधिक पानी छोड़ा जाता है तो ओखला बैराज पर पहुंचकर वह ऊंचाई से गिरता है और फलस्वरूप मथने से झाग बनता है।'

बता दें कि हर साल सर्दी के मौसम आते ही यमुना नदी में झाग दिखाई देने लगता है। लेकिन पिछले साल इसका प्रकोप कुछ ज्यादा ही था।

यमुना में अमोनिया का लेवल बढ़ा

हाल ही में दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा था कि यमुना में अमोनिया का लेवल बढ़ गया है जिसके कारण पानी की सप्लाई में भी दिक्कत आ सकती है। चड्ढा ने बीते गुरुवार को कहा, 'हरियाणा द्वारा छोड़े जाने वाले यमुना के अशोधित जल में प्रदूषकों (अमोनिया) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाने के चलते सोनिया विहार और भागीरथी जल शोधन संयंत्र में जल शुद्धिकरण कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा। इसके कारण पूर्वी, उत्तर पूर्वी और दक्षिण दिल्ली के कुछ हिस्सों में पानी की सप्लाई प्रभावित हो सकती है।'