दिल्ली में तीन मासूम बच्चियां आठ दिन तक भूखी रहीं, तड़प तड़पकर हुई मौत!

देश की राजधानी दिल्ली में तीन बच्चियों की मौत भूख से तड़प तड़पकर हुई थी। मंगलवार को मंडावली में मृत मिली इन बच्चियों के पोस्टमार्टम के बाद लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के डॉक्टरों ने देश को शर्मसार करने वाला इस बात का खुलासा किया। पोस्टमार्टम में बच्चियों शिखा (8), मानसी (4), पारुल (2) के पेट में खाने का एक भी अंश नहीं मिला। डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें कई दिनों से खाना नहीं मिला था। दिल्ली सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।

इन तीन तीन बेटियों की दर्दनाक मौत की घटना झकझोर देने वाली है। आठ साल की मानसी, चार साल की शिखा और दो साल की पारुल का शव मंडावली में एक कमरे से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि तीनों की मौत मंगलवार को तड़के हुई और मौत की वजह है कुपोषण। बच्चियों के शव के पोस्टमार्टम में खाने का एक भी अंश नहीं मिला। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें सात-आठ दिन से खाना नहीं मिला था। इन बच्चियों की मां वीणा की हालत मानसिक रूप से ठीक नहीं है। उसके मुताबिक बच्चियों को कई दिन से उल्टियां आ रही थीं इसलिए खाना नहीं दिया। वीणा ने बताया कि उन्होंने (बच्चियों) कई दिन से खाना नहीं खाया था। उनको उल्टी और खांसी हो रही थी।

बच्चियों के पिता मंगल सिंह बचपन में दिल्ली के होटलों में बर्तन धोते थे, फिर मजदूरी करने लगे। वे कुछ सालों से रिक्शा चला रहे थे। उनके दोस्त नारायण यादव के मुताबिक कुछ दिन पहले उनका रिक्शा चोरी हो गया तो उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया, क्योंकि रिक्शा उसी का था। बीते शनिवार को नारायण ने अपने एक कमरे के घर में मंगल सिंह के परिवार को भी रख लिया। नारायण यादव ने बताया कि जब मंगल को घर से निकाल दिया तो बारिश हो रही थी। बारिश में बच्चे कीचड़ में पड़े होंगे तो हर किसी को दया आ जाती है, फिर ये तो मेरा दोस्त था, इसलिए मैं बच्चों को अपने घर ले आया। अपने परिवार को नारायण के यहां छोड़कर मंगल नए काम की तलाश में निकल गए और अब तक उनका पता नहीं है। पुलिस का कहना है कि बच्चियों का पिता मंगल काम की तलाश में जाने की बात कहकर मंगलवार सुबह घर से निकला था। फिर लौटा नहीं। उससे पूछताछ के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या वाकई उसे घर से निकाला गया था या नहीं।

इसी बीच तीनों बेटियों की मौत हो गई। पड़ोसियों के मुताबिक उन्हें अगर पता होता कि बच्चियों को खाना नहीं मिल रहा है तो वे जरूर खिलाते, लेकिन यह परिवार दो दिन पहले ही यहां आया था, इसलिए उन्हें परिवार के बारे में ज्यादा पता नहीं है। पुलिस का कहना है कि अब वह बच्चियों का दुबारा पोस्टमार्टम कराएगी। पूर्वी दिल्ली के डीसीपी पंकज कुमार ने बताया कि ''इसमें हमने मेडिकल बोर्ड के लिए रिक्वेस्ट किया है। जिससे दुबारा हम सही कारण पता लगा पाएं।''

इस मामले में दिल्ली सरकार ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। यह जानकारी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके दी है। इस घटना को लेकर कई सामाजिक संगठन सरकार से बेहद नाराज हैं। 'बचपन बचाओ आंदोलन' के निदेशक प्रोग्राम राकेश सेंगर ने कहा कि ''यह घटना शर्मसार करने वाली है। संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ऐसा हुआ। सरकार को शर्म आनी चाहिए। हर जिले में चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी होती है जो बच्चों की पढ़ाई, पोषण और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखती है। वो क्या कर रही है? यह घटना बेहद शर्मनाक है।''

दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया
दिल्ली भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को आड़े हाथ लिया है। बुधवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि इन बच्चियों की मौत की जिम्मेदार दिल्ली सरकार है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के हरेक परिवार को घर बैठे राशन पहुंचाने का दावा करते हैं। वहीं, उन्हीं की दिल्ली में इस तरह की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। तिवारी ने कहा कि इस घटना की विस्तृत जांच की आवश्यकता है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने घटना पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि इस परिवार ने राशन कार्ड के लिए आवेदन किया हुआ था, लेकिन उनका कार्ड नहीं बना। यह सरासर दिल्ली सरकार की विफलता है। इससे साबित हो गया है कि सरकार गरीबों के लिए कुछ नहीं कर रही है, बल्कि मात्र दिखावा करती है। देश की राजधानी में भूख से बच्चियों की मौत शर्मनाक है।