दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर CBI से जवाब मांगा

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा। अदालत ने मामले की सुनवाई 17 जुलाई के लिए तय की है। अरविंद केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि सीबीआई को आम आदमी पार्टी प्रमुख को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने अदालत से कहा, सीबीआई की एफआईआर अगस्त 2022 की है और फिर उन्हें अप्रैल 2023 में तलब किया गया और 9 घंटे तक पूछताछ की गई। अप्रैल से अब तक कुछ नहीं किया गया और इस तरह 2022 में दर्ज एफआईआर पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी ज्ञापन में ऐसी कार्रवाइयों के लिए कुछ कारण और आधार दर्शाए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का आधार यह होना चाहिए कि व्यक्ति आतंकवादी है या उसके भागने का खतरा है। उन्होंने कहा कि उसकी गिरफ्तारी जरूरी नहीं है क्योंकि वह आबकारी पुलिस मामले में न्यायिक हिरासत में है। उन्होंने कहा, गिरफ्तारी ज्ञापन काफी उल्लेखनीय है। यह सिर्फ एक पैरा और 4 लाइनों का है।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की उच्च न्यायालय की पीठ ने इसके बाद सीबीआई को नोटिस जारी कर एजेंसी से जवाब मांगा। अदालत ने सुनवाई स्थगित करने से पहले कहा, नोटिस जारी करें। सीबीआई की ओर से नोटिस स्वीकार किया जाता है। विस्तृत जवाब सात दिनों के भीतर दाखिल किया जाए। यदि कोई प्रत्युत्तर हो तो दो दिनों के भीतर दाखिल किया जाए।

अरविंद केजरीवाल को 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, जब दिल्ली की एक अदालत ने एजेंसी को अदालत कक्ष में उनसे पूछताछ करने की अनुमति दी थी। वह पहले से ही दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में थे। ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। मई में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें लोकसभा चुनाव के कारण 21 दिनों की अंतरिम जमानत पर रिहा किया था। 2 जून को वे तिहाड़ जेल वापस आ गए। पिछले महीने दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी थी। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। 29 जून को शहर की अदालत ने आप प्रमुख को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।