निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका की अपील को ठुकरा दिया है और अब उनकी फांसी की सजा को उम्र कैद में नहीं बदला जाएगा। यानी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखेगा। बता दें कि 4 मई को निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने दोषियों विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका अभी दायर नहीं की है। मामले की सुनवाई के दौरान दोषियों की तरफ से कहा गया कि ये मामला फांसी की सजा का नहीं। वो गरीब पृष्ठभूमि से आए हुए हैं, वो आदतन अपराधी नहीं हैं इसलिए सुधरने का मौका दिया जाए।
16 दिसंबर, 2012 की रात फिल्म देखकर लौटते समय 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ दी थीं। दोषियों ने निर्भया और उसके मित्र को नग्न हालत में चलती बस से नीचे फेंक दिया था। यहां तक कि दोनों को कुचलकर मारने की कोशिश भी की गई थी। इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत और हाई कोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी। एक अभियुक्त ने ट्रायल के दौरान जेल मे खुदकशी कर ली थी जबकि एक अन्य नाबालिग था जो तीन साल की सजा पूरी होने के बाद छूट चुका है।