यात्रा के दौरान अब मरने या घायल होने पर रेल यात्रियों को मिलेगा मुआवजा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ट्रेन से उतरते या चढ़ते समय या फिर यात्रा के दौरान घायल या मौत होने पर यात्री व उसके परिजनों को मुआवजे का हकदार है। मुआवजे का प्रावधान सभी तरह की दुर्घटनाओं पर लागू होगा। हादसे के लिए यात्री की लापरवाही को कारण बताकर रेल मंत्रालय मुआवजे देने से नहीं बच सकता। हां, आत्महत्या, बीमारी से मौत और खुद को चोट पहुंचाने के मामले इसमें अपवाद रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की पीठ ने साफ किया कि केवल टिकट न होने पर यात्री या उसके परिजनों के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता। लेकिन मुआवजे के दावे को पुष्ट करने के लिए यात्रा से संबंधित अन्य दस्तावेज आवश्यक होंगे। पीठ ने साफ किया कि हादसा ट्रेन में यात्रा के दौरान भी हो सकता है और यात्रा पूरी करके ट्रेन से उतरने के दौरान भी हो सकता है। स्टेशन परिसर में होने वाले हादसे में भी मृत या घायल होने वाले यात्री को मुआवजा मिलना चाहिए।

पीठ ने यह आदेश पटना हाई कोर्ट के एक आदेश को बनाए रखते हुए दिया है

- मामले में 20 अगस्त, 2002 को बिहार में करौता से खुसरूपुर की यात्रा के दौरान यात्री की ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी।

- मृतक यात्री सेकेंड क्लास के डिब्बे में यात्रा कर रहा था। उसकी पत्नी के मुआवजे के दावे को रेलवे ट्रिब्यूनल ने नहीं माना। उसने कहा, यात्री लटककर यात्रा कर रहा था, इसलिए दुर्घटना हुई।

- ट्रिब्यूनल ने भीड़ के कारण लटककर यात्रा करने की मजबूरी को स्वीकार नहीं किया।

- ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ महिला ने पटना हाई कोर्ट में अपील की।

- हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आश्रित महिला को चार लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ रेल मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट आया था।