अलवर : अमेरिका से नहीं आ सका बेटा, मां की चिता को अग्नि दे रही थी बेटियां तभी हुई पिता की भी मौत, सभी की आंखें हुई नम

इस कोरोना महामारी में हर दिन मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा हैं और कई ऐसे किस्से सामने आ रहे हैं जो आंखों को नम कर देते हैं। ऐसी ही एक घटना सामने आई मंगलवार को अलवर शहर के तीजकी श्मशान घाट पर जहां मां की मौत पर बीटा अमेरिका से नहीं आ सका तो बेटियों ने मां की चिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया और उसी समय पिता की भी मौत की खबर सामने आई। बेटियों काे मां-पिता को अग्नि देते देखा ताे सबकी आंख भर आई। मृतक दम्पति का बेटा अमेरिका में नौकरी करता है। कोरोना महामारी के कारण माता-पिता के बीमार होने पर भी नहीं आ सका। बेटी सुगन व दूसरी बहिन ने ही माता-पिता को संभाला है। अस्पताल में भर्ती कराया। इस बीच मंगलवार को दोनों की मौत हो गई। इतने बड़े हादसे में भी बेटियों ने हिम्मत दिखाते हुए अंतिम फर्ज पूरा किया। श्मशान घाट पर कोरोना के मृतकों का अंतिम संस्कार कराने वाली नगर परिषद की टीम के सदस्यों की आंखें भी नम हो गई।

उत्तरप्रदेश के बरेली निवासी 75 वर्षीय राजेन्द्र कुमार को कई दिन पहले अलवर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। जिनको लीवर की बीमारी थी। उसी बीच उनकी 70 वर्षीय पत्नी सुमन की भी तबीयत बिगड़ गई। जिनकी दो बेटियां हैं। वो कहीं दूर रहती थी। उन्होंने ही मां-पिता को अलवर के अस्पताल में भर्ती कराया। कई दिन से यहां इलाज चल रहा था। बेटियां ही देखरेख में लगी थी। मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे मां की मौत हो गई। मंगलवार दोपहर बाद करीब दो बजे जब बेटी सगुन अपनी मां की चिता को अग्नि दे रही थी। उसी समय अस्पताल से उनके पास फोन आ गया कि पिता का भी निधन हो गया है। बेटी के कांपते हाथों ने मां का अंतिम संस्कार किया।

मां का अंतिम संस्कार चल ही रहा था कि कुछ देर बाद एंबुलेंस पिता का शव लेकर पहुंची। इसी दिन अलवर के तीजकी श्मशान घाट पर इलेक्ट्रिक शव दाह गृह शुरू हुआ था। फिर दूसरी बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी। इेलक्ट्रिक शव दाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया।