भारत को अगले साल से शुरू होगी राफेल विमानों की डिलीवरी, दसॉल्ट के सीईओ ने दी जानकारी

फ्रांस में राफेल Rafale Fighter Jets बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट Dassault एविएशन भारत को 2019 से विमानों की आपूर्ति शुरू करेगी। यह जानकारी कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने ऑरलैंडो में सोमवार को दी। ऑरलैंडो में एक विश्व के सबसे बड़े बिजनेस जेट के शो के दौरान ट्रेपियर ने राफेल पर टिप्पणी की। इससे पहले भी ट्रेपियर, भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी पर टिप्पणी की थी। बता दें कि भारत ने 2015 में 36 राफेल विमानों की डील की थी, मगर इस मुद्दे पर विपक्ष घोटाले का आरोप लगा रहा है।

कांग्रेस लगातार नरेंद्र मोदी पर साध रही निशाना

राफेल सौदे को लेकर सरकार के विरुद्ध कांग्रेस ने अपना अभियान तेज कर दिया है। कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं और उनके पास इसके बारे में छिपाने को काफी कुछ है। सौदे पर मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़ा करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता आंनद शर्मा ने दावा किया कि केवल प्रधानमंत्री को ही पता था कि ऑफसेट अनुबंध हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को नहीं दिया जाएगा।

शर्मा ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह उनका (मोदी का) फैसला था। केवल उन्हें ही पता था कि वह क्या करने जा रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय महत्व के इस मुद्दे पर बोलेंगे लेकिन उन्होंने इस विषय पर लगातार चुप्पी साधे रखी जबकि अपनी सरकार के बारे में ऊंचे-ऊंचे दावे करते रहे।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री के पास राफेल सौदे पर छिपाने को काफी कुछ है। उनकी चुप्पी मौलिक प्रश्न को जन्म देती है क्योंकि वह सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं और व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए जवाबदेह हैं।’’

राफेल सौदे को देश के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला होने का दावा करते हुए शर्मा ने इसकी संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच की मांग दोहरायी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की फ्रांस यात्रा पर भी सवाल खड़ा किया जिस दौरान 58,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत वायुसेना के लिए 36 राफेल जेट विमानों की आपूर्ति के लिए दसाल्ट एविएशन में चल रहे कामों की प्रगति का उनके द्वारा जायजा लेना शामिल था। शर्मा ने कहा कि भारत फ्रांस से जो लड़ाकू विमान खरीद रहा है, उसकी कीमत काफी बढ़ गयी है और प्रधानमंत्री को इस सौदे को लेकर उत्पन्न कई संशयों को दूर करना चाहिए। यदि इस सौदे का फोरेंसिक ऑडिट किया जाए तो और ब्योरा सामने आएगा।

ट्रेपियर ने कहा था कि अनिल अंबानी की कंपनी के राफेल में केवल 10 फीसदी ऑफसेट निवेश हैं। सीईओ एरिक ट्रेपियर के मुताबिक कि कंपनी 100 भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट ने यह स्टेटमेंट छापा था। वेबसाइट पर दसॉ मैनजेमेंट और इसके कर्मियों के प्रतिनिधियों के बीच के हुई एक मीटिंग के नोट्स का हवाला दिया गया है।

ट्रेपियर ने साफ कहा था कि रिलायंस के साथ दसॉ एविएशन का संयुक्त उपक्रम राफेल लड़ाकू विमान करार के तहत करीब 10 फीसदी ऑफसेट निवेश का प्रतिनिधित्व करता है। ट्रेपियर ने कहा था, 'हम करीब 100 भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं जिनमें करीब 30 ऐसी हैं जिनके साथ हमने पहले ही साझेदारी की पुष्टि कर दी है।' बता दें राफेल डील को लेकर मचे घमासान के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। SC ने राफेल डील पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कहा था कि वह विमान की कीमतों और तकनीक से जुड़ी जानकारी भले ही सार्वजनिक न करें लेकिन डील की प्रक्रिया के बारे में कोर्ट को जानकारी दें।