जीएसटी कटौती सरकार पर पड़ेगी भारी, साख पर लगेगा बट्टा : मूडीज

हाल ही में सरकार द्वारा 88 उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती करने पर सोमवार को क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि ये कटौती सरकारी राजस्व पर भारी पड़ेगी और यह साख नकारात्मक करने वाला है, क्योंकि इससे राजकोषीय मजबूती के प्रयासों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह घरेलू उपभोक्ता उपकरणों के साथ ही विभिन्न हस्तशिल्प उत्पादों व पेंट पर जीएसटी दर में कटौती की थी। एजेंसी ने कहा कि हमें जीएसटी दर में हालिया कटौती से राजस्व में सालाना सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 0.04 फीसदी से 0.08 फीसदी तक नुकसान होने की उम्मीद है।

मूडीज ने बयान में कहा कि राजस्व में नुकसान का अनुपात कम है, लेकिन कर की दरों में अस्थिरता सरकार के राजस्व के लिए अनिश्चितता पैदा करती है और यह ऐसे समय में सामने आया है, जब उसके खर्च में बढ़ोतरी का जोखिम बरकरार है।

एजेंसी ने कहा कि सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए सकल कर राजस्व में 16.7 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य तय किया था और भविष्य में सरकार के राजस्व में जीएसटी संग्रह का योगदान अहम होगा, क्योंकि करदाताओं की संख्या बढ़ने के साथ-साथ कराधान में भी वृद्धि हुई है।

लक्ष्य से चूकने का जोखिम

मूडीज ने कहा कि जनवरी 2018 तथा नवंबर 2017 के बाद हाल में कर में कटौती सरकार के राजस्व संग्रह पर भारी पड़ेगी और यह साख के लिए नकारात्मक है, क्योंकि इससे सरकार का राजकोषीय मजबूती का प्रयास दबावग्रस्त होगा।

सरकार को उम्मीद है कि मध्य अवधि में सरकारी खजाने में जीएसटी राजस्व जीडीपी का अतिरिक्त 1.5 फीसदी का योगदान करेगा। जीएसटी को लागू करने में आने वाली आरंभिक परेशानियों के बावजूद दिसंबर 2017 के बाद जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन बार-बार कर की दरों में बदलाव से पूरे वित्त वर्ष में जीएसटी से 7.4 लाख करोड़ रुपये (100 अरब डॉलर) की वसूली के लक्ष्य के चूकने का जोखिम पैदा हुआ है।