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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते क्रूड ऑयल के भाव में रिकॉर्ड तेजी बनी हुई है और यह 14 साल के हाई पर पहुंच चुका है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) अभी 11.67 डॉलर यानी करीब 10% चढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। यह 2008 के बाद क्रूड ऑयल का सबसे ऊंचा स्तर है। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) भी 10.83 डॉलर यानी 9.4% उछलकर 126.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। प्रतिशत के हिसाब से देखें तो कच्चा तेल के इन दोनों वेरिएंट में यह मई 2020 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त है। रविवार को कारोबार शुरू होने के चंद मिनटों में ही क्रूड ऑयल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट दोनों जुलाई 2008 के बाद के उच्च स्तर पर पहुंच गए। जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था।
दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। अब अमेरिका और यूरोपीय देश रूसी तेल व गैस पर भी बैन लगाने की तैयारी में हैं। इसके लिए ईरान को वापस मार्केट में लाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस दिशा में हो रही देरी से क्रूड ऑयल के भाव में रिकॉर्ड तेजी बनी हुई है।
ईरान को तेल मार्केट में वापस लाने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देश 2015 की न्यूक्लियर डील पर नए सिरे से बातचीत शुरू करना चाह रहे हैं। इस बारे में लगाए जा रहे कयासों के बीच रूस ने रविवार को अमेरिका से इस बात की गारंटी की मांग कर दी कि यूक्रेन को लेकर उसके ऊपर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका ईरान के साथ रूस के ट्रेड पर कोई असर नहीं होगा। रूस की मांग पर अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken ने कहा कि रूस के ऊपर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका ईरान के साथ संभावित डील से कोई लेना-देना नहीं है। ब्लिंकेन ने ये भी बताया कि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूसी तेल के इम्पोर्ट पर बैन लगाने के उपाय तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस अपने बैन पर आगे बढ़ रही है। ब्लिंकेन के बयान और ईरान के साथ बातचीत पर अनिश्चितता के चलते क्रूड ऑयल को ऊपर चढ़ने का मौका मिला।
200 डॉलर तक जा सकता है कच्चा तेलरूस अभी रोजाना करीब 70 लाख बैरल तेल सप्लाई करता है। रिफाइंड प्रोडक्ट के मामले में टोटल ग्लोबल सप्लाई में रूस का हिस्सा करीब 7% है। बैंक ऑफ अमेरिका के एनालिस्ट का कहना है कि अगर रूस के ज्यादातर सप्लाई को रोक दिया गया तो बाजार में एक झटके में 50 लाख बैरल की कमी आ सकती है। अगर ऐसा होता है तो क्रूड ऑयल का भाव 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। एनालिस्ट की राय है कि ईरान को रूसी सप्लाई की भरपाई करने में महीनों लग सकते हैं।
उनका कहना है कि अगर क्रूड ऑयल का भाव 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाता है तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत जैसे देश होंगे, जो अपनी ईंधन व ऊर्जा की जरूरतों के लिए बड़े हद तक इम्पोर्ट पर निर्भर करते हैं। भारत अभी अपनी जरूरतों का करीब 85% इम्पोर्ट करता है।
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंकाकच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के कारण अब पेट्रोल-डीजल के भाव में ज्यादा दिन तक स्थिरता नहीं रहेगी। भारतीय बाजार में दिवाली यानी नवंबर 2021 से स्थिर चल रहे पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) के दामों पर यूक्रेन और रूस के बीच तनाव के दौरान आसमान छू रहे कच्चे तेल के भाव का असर पड़ सकता है।