गंभीर बीमारी से लड़कर जीती इन खिलाडियों ने जिंदगी, लोगों के लिए बने मिसाल

हर खिलाडी की यही सोच होती है कि वह इस तरह का प्रदर्शन करें की उसे जीत हासिल हो। अपने इसी दमदार प्रदर्शन के कारण खिलाडी दर्शकों का दिल जीतते हैं। लेकिन क्रिकेट में कुछ खिलाडी ऐसे भी हुए हैं जो मौत को हराकर जिंदगी की जंग को जीत पाए। जी हाँ, कई खिलाडी ऐसे हैं जिन्होनें गंभीर बीमारी का डटकर सामना किया और अपना हौसला बनाए रखा। तो आइये जानते हैं उन खिलाडियों के बारे में जिन्होनें गंभीर बीमारी से लड़कर जीती मौत से जंग।

* युवराज सिंह

सिक्सर किंग कहे जाने वाले टीम इंडिया के युवराज सिंह जब भी मैदान में आते तो दर्शको में खुब उत्साह देखने को मिलता था लेकिन किसी को भी उनके दर्द का एहसास नहीं था। जिस वक्त युवी 2011 क्रिकेट वल्र्ड कप में टीम के लिए मैच जीत रहे थे, वो कैंसर से भी जूझ रहे थे और शुरुआती इलाज ने उन्हें अंदर तक तोड़ भी दिया था लेकिन युवी ने हार नहीं मानी। वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौटे और हजारों-लाखों को प्रेरणा दी और फिर से उसी फार्म में नजर आए।

* मार्टिन गुप्टिल

दुनिया के सबसे सालामी बल्लेबाजों में शुमार न्यूजीलैंड मार्टिन गुप्टिल ने अपने बचपन में बुरा वक्त देखा है। वो एक ऐसे हादसे का शिकार हुए, जिसमें जान भी जा सकती थी। इस हादसे की वजह से कीवी बल्लेबाज के बायें पैर का अंगूठा और दो उंगलियां काटनी पड़ीं, जिसके चलते उनके चलने और दौडऩे को लेकर चिंता पैदा हो गई, लेकिन उन्होंने मेहनत कर वापसी की, क्रिकेट में जगह बनाई और आज भी सबसे तेज रफ्तार खिलाडिय़ों में जाने जाते हैं।

* शोएब अख्तर

पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को कोहनी में दिक्कत थी लेकिन इसके बावजूद भी उनकी 100 मील प्रतिघंटे रफ्तार वाली गेंद सामने खड़े बल्लेबाज के छक्के छुड़ा देती है। उनका शरीर भी किसी अजूबे से कम नहीं है उनकी कोहनी 40 डिग्री तक मुड़ जाती है, जबकि आम तौर पर ये सिर्फ 20 डिग्री मुड़ती है। इसके अलावा उनके पैर सपाट थे और 5 साल की उम्र तक वो सीधे चल भी नहीं सकते थे, लेकिन उन्होंने सारी परेशानियों को दूर करते हुए सबसे तेज गेंदबाज बनकर दिखाया।

* जोंटी रोड्स

दुनिया के सबसे शानदार फील्डर दक्षिण अफ्रीका के जोंटी रोड्स मिरगी से पीडित थे। लेकिन जब भी वह मैदान में खेलते थे तो ऐसा लगता था कोई मशीन मैदान में खेल रही हो। उनकी गेंद रोकने की कला या रनआउट करने की दक्षता का कोई सानी नहीं था। जोंटी रोड्स ने अपने जीवन में मिरगी की बीमारी से ख़ूब लड़ा। मिरगी होने के बावजूद उन्होंने इसे करियर में आड़े नहीं आने दिया और जीत दर्ज की। इन दिनों वो दुनिया भर में अलग-अलग टीमों को फील्डिंग के गुर सिखाते हैं।

* टाइगर पटौदी

21 साल की उम्र में टीम के सबसे नौजवान कप्तान बनने वाले भारत के टाइगर पटौदी एक कार हादसे का शिकार हुए थे जिस कारण उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी। लेकिन फिर भी उनका जज्बा इतना था कि व मैदान में एक आंख से खेलते थे। पटौदी ने 46 टेस्ट मैच खेले, जिनमें से 40 में कप्तानी की और 9 मैच जीतकर दिखाए, 6 शतक एक दोहरा शतक और 16 अद्र्धशतक, वो भी महज एक आंख से। उनकी बल्लेबाजी को आज भी दुनिया सलाम करती है।