अब सांस की मदद से की जा रही कोविड-19 की टेस्टिंग, अमेरिका में आपात उपयोग के लिए FDA से मांगी अनुमति

कोरोना की जांच कई तरीकों से की जा रही हैं जिसमें RTPCR या एंटीजन टेस्ट शामिल हैं। लेकिन देखा जा रहा हैं की कई देशों में अब सांस की मदद से भी कोविड-19 की जांच की जा रही हैं। इसका एक नजारा देखने को मिला था नीदरलैंड में मई महीने में जहां आयोजित एक संगीत कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे कई देशों के संगीतकारों की सांस की जांच स्टेज पर जाने से पहले की गई। जिनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई उन्हें ही कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति मिली। ओहायो विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने अमेरिका में आपात उपयोग के लिए सांस की जांच करने वाले अपने उपकरण को अनुमति प्रदान करने के लिए एफडीए के पास आवेदन किया है।

एक पानी की बोतल के आकार के उपकरण स्पायरोनोज से सांस में मौजूद उन रासायनिक तत्वों की पड़ताल की गई जो कोरोना वायरस होने का संकेत दे सकें। स्पायरोनोज को आज विश्व के कई देशों में कोविड-19 की जांच के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सिंगापुर के स्वास्थ्य विभाग ने भी अपने देश की दो कंपनियों ब्रीदोनिक्स और सिल्वर फैक्ट्री टेक्नोलॉजी के बनाए ऐसे ही उपकरणों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 मरीजों की सांस में मेथेनॉल का स्तर नीचे पाया जाता है। यह संकेत है कि वायरस ने उसके पेट के सिस्टम को प्रभावित किया है। यह मरीज में कोरोना की पुष्टि कर सकता है। इंग्लैंड के लॉगबोरो विश्वविद्यालय के केमिस्ट पॉल थॉमस दावा करते हैं कि आज सांस से कोई रोग की पुष्टि संभव है इसमें इस्तेमाल हो रहे नए उपकरण तेजी से जांच करते हैं और इनसे दर्द भी नहीं होता।

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, सांस से संक्रमण या बीमारी की पुष्टि कई वजहों से मुश्किल है। अगर व्यक्ति ने कुछ ऐसा खाया है जो उसकी सांस में निकल रहे रसायनों में बदलाव कर दे, तो बीमारी छिपी रह सकती है। धूम्रपान और शराब सेवन करने वालों में भी इस विधि से जांच मुश्किल है। इस तकनीक को और विकसित होने के लिए और अध्ययन की जरूरत है।