दिल्ली / प्लाज्मा देने के लिए आगे आने लगे लोग, 20 कोरोना मरीजों ने किया डोनेट

दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल में सोमवार तक करीब 20 कोरोना मरीजों ने प्लाज्मा डोनेट किया। रविवार को तब्लीगी जमात के करीब 10 लोगों ने कोविड केयर सेंटर नरेला और सुल्तानपुरी में प्लाज्मा डोनेट किया। स्वास्थ्य विभाग के कोरोना कोर्डिनेटर डॉ. शोएब ने कहा कि तब्लीगी जमात के ज्यादतर लोग प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले कहा था कि प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल सफल रहा है। दिल्ली के मोती नगर में रहने वाले अनुज शर्मा ने कहा कि मैं व्यक्तिगत काम से यूरोप के बलगेरिया गया था। 20 मार्च को दिल्ली आया। 29 मार्च को कोरोना टेस्ट कराया तो पॉजिटिव आया। इसके बाद सफदरजंग अस्पताल में भर्ती हुआ। वहां से इलाज कराने के बाद 15 अप्रैल को ठीक होकर घर आया। कुछ दिन पहले ही आईएलबीएस अस्पताल से डॉ मीनू बाजपेयी का फोन आया प्लाज्मा डोनेट करने के लिए। मेरी वाइफ ने कहा कि यदि हमारे शरीर की किसी चीज से लोगों की जान बच सकती है तो जरूर करना चाहिए।

डॉ आबिद करोल बाग के तिबिया कॉलेज में काम करने वाले डॉ आबिद अमिर ने कहा कि काम करने के दौरान इंफेक्शन हुआ। इसके बाद लोकनायक अस्पताल में भर्ती हो गया। वहां प्लाज्मा डोनेट करने के लिए डॉक्टरों से काउंसलिंग की। मुझे लगा मेरे प्लाज्मा डोनेट करने से किसी की जान बच सकती है तो क्या दिक्कत है। 25 अप्रैल को अस्पताल जाकर डोनेट कर दिया। अब किसी तरह की कोई कमजोरी भी महसूस नहीं हो रही।

बता दे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को फिर एक बार प्लाज्मा डोनेट का महत्व बताया। इसके साथ ही उन्होंने आपसी सौहार्द बनाने की बात कहते हुये ये भी कहा कि हिंदू का प्लाज्मा मुस्लिम और मुस्लिम का प्लाज्मा हिंदू की जान बचा सकता है। केजरीवाल ने कहा, 'लोगों के मन में जज़्बा है कि कैसे दूसरे की जान बचा सकते हैं। हो सकता है कि मुसलमान का प्लाज्मा हिंदू के काम आए और हिंदू का प्लाज्मा मुसलमान के काम आ जाए। भगवान ने तो फर्क नहीं किया। हम लोगों ने आपस में दीवारें क्यों पैदा की हैं।'

कैसे होता है प्लाज्मा थेरेपी से इलाज

जब कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो ठीक होने के बाद उसके ब्लड में प्रतिरोधक क्षमता यानी एंटीबॉडी आ जाती हैं। दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे। प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के खून से अलग कर निकाला जाता है। एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400ml प्लाज्मा निकाला जा सकता है। इस 400ml प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है। दिल्ली में ये थेरेपी शुरू हो चुकी है, जिससे मरीजों को फायदा मिला है। जबकि बाकी राज्य भी ICMR की इजाजत के साथ ही इस थेरेपी का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं।