किट में खामी / राजस्थान सरकार ने रोका कोरोना का रैपिड टेस्ट, घटिया क्वालिटी के कारण आए गलत नतीजे

राजस्थान में कोरोना संक्रमण बेकाबू होता जा रहा है। मंगलवार सुबह 52 नए पॉजिटिव केस सामने आए। इनमें जयपुर में 34, जोधपुर में 5, भीलवाड़ा में 4, टोंक, दौसा और जैसलमेर में 2-2, पॉजिटिव मिले। इनके अलावा सवाई माधोपुर, नागौर और झुंझुनू में एक-एक संक्रमित मिला। राज्य में अब कुल संक्रमितों की संख्या 1628 हो गई है। वहीं, इस बीमारी से 25 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

वहीं, राज्य में कोरोना संक्रमितों का तेजी से पता लगाने के लिए जोर शोर से शुरू किए गए एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट पर सवाल उठने लगे है। दरअसल, रैपिड टेस्ट जांच में बिलकुल भी खरा नहीं उतर पाया है। जिसके बाद राज्य सरकार ने जयपुर और जोधपुर में शुरू हुए रैपिड टेस्ट पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। रैपिड टेस्ट किट्स की घटिया क्वालिटी के कारण जांच रिपोर्ट सही नहीं मिल पा रही है।

ऐसे आई संदेह के घेरे में

चिकित्सा विभाग का कहना है कि प्रदेश में प्रायोगिक तौर पर रैपिड टेस्ट किट्स की सबसे पहले जांच पॉजिटिव पाए गए मरीजों की गई, लेकिन इन किट्स ने इन मरीजों की जांच रिपोर्ट निगेटिव बता दी। इस कारण ये किट संदेह के घेरे में आ गए। इसके बाद इनके कुछ और परीक्षण किए गए। सौ से अधिक जांच में रैपिड टेस्ट किट ने महज दो मामलों में ही एकदम सटिक जांच रिपोर्ट दी। इसके बाद राज्य सरकार ने अग्रिम आदेश तक इनके माध्यम से जांच करने पर रोक लगा दी।

विभाग के उप निदेशक डॉ सुनील कुमार बिष्ट ने बताया कि राज्य सरकार के आदेश की पालना में जोधपुर में भी इसके उपयोग पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने भी माना कि कई मामलों में यह जांच में खरा नहीं उतरा। जोधपुर शहर में रेपिड टेस्ट सुविधा शुरू करने के पीछे यहीं मंशा थी कि मेडिकल कॉलेज पर सैंपलों का बोझ कम हो जाएगा। इसमें शुगर जांच की तरह खून की जांच कर हाथोंहाथ नतीजा मिल जाता है। इसमें पॉजिटिव मिलने पर ही मरीज का सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजने की योजना थी।

जोधपुर (Coronavirus in Jodhpur) में 35 रेपिड टेस्ट से जांच की गई। इनमें से 20 कोरोना संक्रमित के क्लॉज कॉन्टैक्ट वाले लोग थे। जांच में ये सभी निगेटिव पाए गए। वहीं 15 जनों के रिपीट टेस्ट भी इससे किए गए, ये भी निगेटिव निकले। इससे जांच में एक भी मरीज को पॉजिटिव नहीं दर्शाया गया।