पूर्व रॉ प्रमुख की किताब से उठा विवाद, फारूक अब्दुल्ला ने आरोपों को बताया ‘सस्ती चाल’

श्रीनगर। पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत की नई किताब 'द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाय' ने जम्मू-कश्मीर की सियासत में हलचल मचा दी है। किताब में किए गए दावों को राष्ट्रीय कांफ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सिरे से खारिज करते हुए इन्हें “सस्ती प्रचार रणनीति” बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए उनके नाम और अनुच्छेद 370 को लेकर भ्रामक बातें गढ़ी गई हैं।

दुलत ने अपनी किताब में लिखा है कि साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने सार्वजनिक तौर पर विरोध जरूर जताया, लेकिन निजी बातचीत में वह फैसले के समर्थन में थे। इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए अब्दुल्ला ने कहा, यह लेखक की कल्पना है, ना कि सच्चाई। हम तो उस समय हिरासत में थे क्योंकि हमारा रुख पहले से ही सरकार को मालूम था।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ना तो उन्होंने और ना ही उनकी पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने की किसी भी कोशिश को समर्थन दिया था। उन्होंने कहा, “नेशनल कांफ्रेंस का भाजपा से नज़दीकी बढ़ाने का कोई इरादा नहीं था। दुलत का यह दावा भी झूठ का पुलिंदा है।”

पूर्व रॉ चीफ ने दी सफाई


विवाद बढ़ने पर ए.एस. दुलत ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी किताब में कहीं भी यह नहीं लिखा गया कि फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “यह किताब डॉ. साहब (फारूक) के प्रति सम्मान है, आलोचना नहीं। मैंने सिर्फ यह कहा है कि केंद्र को अगर यह फैसला लेना ही था तो कम से कम भरोसे में तो लेते, ना कि नेताओं को नजरबंद कर देते।”

उन्होंने यह भी जोड़ा, “जो बातें मीडिया में चल रही हैं, वह किताब का गलत व्याख्यान है। फारूक अब्दुल्ला ने कभी समर्थन नहीं किया — और न ही मैंने ऐसा लिखा है।

सज्जाद लोन ने दुलत के दावे पर जताई सहमति

वहीं पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने कहा कि वह दुलत की बातों से चौंके नहीं हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं पहले ही समझ गया था कि 4 अगस्त 2019 को पीएम से हुई मुलाकात कोई रहस्य नहीं थी। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि फारूक साहब ने कहा होगा—‘हमें रो लेने दीजिए, आप अपना काम कीजिए। हम आपके साथ हैं।’ लगता है 2024 का इनाम, 2019 में दिए गए समर्थन का फल है।”