बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांट्रैक्ट पर बहाल पौने चार लाख शिक्षकों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। जिसका ऐलान 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर करने वाले है। दरअसल, सरकार उनके पदनाम से 'नियोजित' शब्द को हटाने जा रही है। इसका प्रावधान शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए तैयार सेवा शर्त नियमावली में किया है। सरकार के इस कदम को विधानसभा चुनाव से पहले नाराज नियोजित शिक्षकों को मनाने का कदम भी माना जा रहा है। हालांकि, सरकार के फैसले से शिक्षक संघ असंतुष्ट है। उन्होंने सरकार पर नियोजित शिक्षकों को लॉलीपॉप देने का आरोप लगाया है। शिक्षक नेता मार्कण्डेय पाठक, अश्विनी पाण्डेय, आनंद कौशल, अभिषेक कुमार, पंकज कुमार आदि ने कहा है कि केवल नाम बदल देना ढकोसला है। सरकार को चुनाव से पहले समान वेतनमान, सहायक शिक्षक का दर्जा और सम्मानजनक वेतन वृद्धि देनी चाहिए। शिक्षक नेता सरकार पर नियोजित शिक्षकों को लॉलीपॉप देने का आरोप लगा रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिक्षक दिवस के अवसर पर पांच सितम्बर तक सरकार शिक्षकों को यह तोहफा दे सकती है। इसकी घोषणा 15 अगस्त को कर सकते हैं। शिक्षा विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली को अंतिम रुप दे दिया गया है। होगा ये फायदा
शिक्षकों की सेवा शर्तों में ऐच्छिक स्थानांतरण, प्रोन्नति का लाभ और सेवा निरतंरता जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं को शामिल किया गया है। शिक्षकों की वेतन बढ़ोतरी समेत अन्य मांगें भी इसमें शामिल हैं। सेवा शर्त लागू होने के बाद पौने चार लाख शिक्षक राज्य में कहीं भी ऐच्छिक स्थानांतरण करा सकेंगे। उन्हें ईपीएफ और प्रमोशन भी मिलेगा। इसके अलावा सरकार अनुकम्पा के इंतजार में बैठे आश्रितों को भी लाभ देने जा रही है।