राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के सम्मान में शुक्रवार को सुबह के भोज का आयोजन किया है। इस भोज में शामिल होने के लिए राज्यसभा के सभी दलों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन उपसभापति चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने यह फैसला लिया है कि इस भोज में शामिल नहीं होंगे। इस चुनाव से आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के महागठबंधन पर भी सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं।
विपक्षी गठबंधन को करारा झटका- उपसभापति के चुनाव में कांग्रेस समेत विपक्षी गठबंधन को करारा झटका लगा है।
- राज्यसभा में विपक्षी दल बहुमत में होने के बाद भी उनका प्रत्याशी बीके हरिप्रसाद एनडीए प्रत्याशी हरिवंश के हाथों हार गए। जनता दल (यू) के सांसद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के उपसभापति चुने गए।
विपक्षी दल एक छोटे से चुनाव में ही एकजुट नहीं हो पाए- उपसभापति पद के लिए गुरुवार को मतदान हुआ था। हरिवंश ने विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को 20 वोटों से हराया। हरिवंश को 125 और हरिप्रसाद को 105 वोट मिले।
- 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उपसभापति के चुनाव में विपक्षी दलों को मिली हार से साफ हो गया है कि मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने का दावा करने वाले विपक्षी दल राज्यसभा के एक छोटे से चुनाव में ही एकजुट नहीं हो पाए तो लोकसभा जैसे बड़े चुनाव में वे एक कैसे होंगे।
- विपक्षी दलों के दावे उस समय फेल होते देखे गए जब बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के सभी सदस्य सदन में मौजूद थे लेकिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के दो-दो सदस्य अनुपस्थित थे। डीएमके के दो सदस्य भी सदन में मौजूद नहीं थे। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के दो सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
- उच्च सदन में पीडीपी के दो सदस्य और आप के तीन सदस्य हैं लेकिन उन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। सपा का एक सदस्य अनुपस्थित था। बीजेडी और टीआरएस ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया। मतविभाजन के बाद हरिवंश को उच्च सदन का उपसभापति घोषित किया गया। उन्हें विपक्ष की ओर से कांग्रेस के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को मिले 105 मतों के मुकाबले 125 मत मिले थे और विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को 105 वोट मिले। 244 सदस्यीय सदन में मतदान में 232 सदस्यों ने हिस्सा लिया।