राज्यसभा में शुक्रवार को तीन तलाक विधेयक पर चर्चा नहीं हो पाई। राज्यसभा के उपसभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों के बीच तीन तलाक विधेयक में हुए संशोधनों पर आम सहमति नहीं बन पाई है, इसलिए उच्च सदन में चर्चा के लिए इस विधेयक को नहीं लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की ओर से लाए गए संशोधनों से विपक्ष के कई सदस्य संतुष्ट नहीं हैं। इसी के साथ बीजेपी ने तीन तलाक विधेयक को संसद की मंजूरी नहीं मिलने के लिए शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनकी पार्टी ने उसका लोकसभा में समर्थन किया लेकिन वोट बैंक की राजनीति के चलते राज्यसभा में नहीं किया।
बता दें कि यह विधेयक गत दिसंबर में लोकसभा में पारित हुआ था लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास संख्या बल कम होने के चलते यह विधेयक राज्यसभा में लंबित था। विपक्ष विधेयक में संशोधन चाहता था। शुक्रवार को राज्यसभा के मानसून सत्र का अंतिम दिन है और केंद्र सरकार चाहती थी कि सत्र के आखिरी दिन यह विधेयक पारित हो जाए। यदि मानसून सत्र में सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित नहीं करा पाती है तो उसके पास अध्यादेश लाने का रास्ता खुला रहेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ही इस बहुचर्चित विधेयक में तीन संशोधनों को मंजूरी दी थी, जिसके तहत गैर-जमानती प्रावधान में कुछ बदलाव को मंजूर किया गया।
संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार ने आखिरी पल तक यह सुनिश्वित करने का प्रयास किया कि विधेयक पारित हो जाए लेकिन कांग्रेस ने उसका पारित होना बाधित किया। उन्होंने कहा, "लैंगिक न्याय सुनिश्वित करने वाले तीन तलाक विधेयक को दुर्भाग्य से कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी ने पारित नहीं होने दिया।"
कांग्रेस आज बेनकाब हो गई, मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धउन्होंने कहा कि मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस आज बेनकाब हो गई है, पार्टी केवल इस महत्वपूर्ण विधेयक का पारित होना बाधित करना चाहती थी।उन्होंने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 300 से अधिक महिलाओं को तलाक दिया गया है और यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण था लेकिन विपक्ष की कुछ अन्य प्राथमिकताएं हैं।"
सत्र के अंतिम दिन नहीं हुई राज्यसभा में चर्चातीन तलाक विधेयक पर आज सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में चर्चा नहीं हो पाई। हालांकि विधेयक उच्च सदन की कार्यावलि में विचार एवं पारित किए जाने वाले सरकारी विधेयकों में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक भी सूचीबद्ध था। इस विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गई है किंतु हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक में तीन संशोधन करने को मंजूरी दी है। यदि उच्च सदन में इस विधेयक को सरकार के इन तीन संशोधनों के साथ पारित किया जाता है तो उसे फिर से लोकसभा की मंजूरी दिलवाने की आवश्यकता पड़ेगी।
जमानत का प्रावधान जोड़ा गयाकेंद्रीय मंत्रिमंडल तलाक विधेयक में दोषी व्यक्ति को जमानत देने के प्रावधान को विधेयक में जोड़ने की मंजूरी दे चुका है। एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी बना रहेगा और इसके लिए पति को तीन वर्ष की जेल की सजा हो सकती है। विपक्षी दलों की मांगों में से एक इस विधेयक में जमानत का प्रावधान जोड़ना भी शामिल था। अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकेंगे।