कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को पार्टी के राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत ‘संविधान बचाओ’ अभियान की शुरुआत करेंगे। इस अभियान का मकसद भाजपा राज में कथित रूप से संविधान एवं दलितों पर हमलों के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना है। कांग्रेस के इस अभियान को 2019 में होने वाले चुनावों से पहले दलित समुदाय तक अपनी पैठ को बढ़ाने के प्रयासों के रूप में भी देखा जा रहा है। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के उपस्थित रहने की भी उम्मीद है।
इन सबके अलावा इस मौके पर कांग्रेस के वर्तनमान एवं पूर्व दलित सांसद, जिला परिषद, नगरपालिकाओं और पंचायत समितियों में पार्टी के दलित प्रतिनिधि तथा पार्टी की स्थानीय इकाइयों के पदाधिकारी भी इसमें भाग लेंगे। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस अभियान के जरिए दलित समुदाय को भी एक संदेश देना चाहती है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, 'भाजपा सरकार में संविधान खतरे में है। दलित समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में अवसर नहीं मिल रहे हैं। कांग्रेस का उद्देश्य इस अभियान के जरिए इन मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना है। आपको बता दें कि इस समय देश में लगभग 17 फीसदी दलित मतदाता हैं। देश की 84 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जो अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग आधी सीटों पर विजय प्राप्त की थी। इनमें से उसे उत्तर प्रदेश और बिहार में भारी सफलता हासिल हुई थी। एक समय दलित वोट को कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता था लेकिन धीरे-धीरे यह कांग्रेस से खिसकता चला गया।