चीन ने पहली कोरोना वैक्सीन Ad5-nCOV के पेटेंट को दी मंज़ूरी

रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी चर्चा खत्म भी नहीं हुई है कि चीन ने भी वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर दी है। चीनी वैक्सीन कंपनी कैनसाइनो बायलॉजिक्स कॉर्पोरेशन (CanSino Biologics Inc) को कोरोना वैक्सीन Ad5-nCOV के पेटेंट के लिए मंज़ूरी मिल गई है। ये जानकारी चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने दी है। चीन की बौद्धिक संपदा नियामक संस्था ने 11 अगस्त को कैनसाइनो को वैक्सीन के पेटेंट के लिए मंज़ूरी दी है। ये पहली बार है जब चीन ने कोविड-19 के लिए किसी वैक्सीन को मंज़ूरी दी है। हालांकि इसे वैज्ञानिक उपलब्धि के बजाय व्यावसायिक उपलब्धि माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, वैक्सीन के पेटेंट के लिए 18 मार्च को ही अनुरोध किया गया था, लेकिन 11 अगस्त को इसकी मंजूरी मिली है। इस वैक्सीन को चीनी सेना और कैन्सिनो बायोलॉजिक्स कंपनी ने मिलकर तैयार किया है।

फिलहाल चीन की इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल दुनिया के कई देशों में चल रहा है। चीन का कहना है कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन की प्रभावी क्षमता का आकलन किया जाएगा। अगर यह सफल रहती है तो इसे बाजार में उतार दिया जाएगा। हालांकि खबरों की मानें तो चीन ने अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाना शुरू भी कर दिया है।

वॉल्टर ऐंड एलिज़ा हॉल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के प्रोफ़ेसर मार्क पेलेग्रिनी ने ‘द गार्डियन’ अख़बार से कहा, 'इस पेटेंट की वजह से कोई अब इस वैक्सीन की नक़ल नहीं कर पाएगा लेकिन क्लीनिकल ट्रायल में आगे बढ़ने के लिए पेटेंट का होना कोई अनिवार्य मापदंड नहीं है।'

पेलेग्रिनी ने ये ध्यान भी दिलाया कि इस वैक्सीन के बारे में कुछ हफ़्ते पहले मेडिकल जर्नल लैंसेट में ख़बर छपी थी। ये वही वक़्त था जब ऑक्सफ़र्ड समूह ने अपनी वैक्सीन के बारे में जानकारी प्रकाशित की थी।

दोनों वैक्सीन में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए एडेनोवयारस (सर्दी और सामान्य संक्रमण पैदा करने वाला वायरस) का इस्तेमाल किया गया है। सऊदी अरब ने इसी महीने कहा था कि वो कैनसाइनो की वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल करने की योजना बना रहा है। वहीं, कैनसाइनो ने कहा था कि वो तीसरे चरण के ट्रायल के लिए रूस, ब्राज़ील और चिली से भी बात कर रहा है।