चंद्रयान-2 : चांद पर पहुंच कर सबसे पहले ये काम करेंगे 'विक्रम' और 'प्रज्ञान'

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। बस अब कुछ ही देर बाद चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रयान-2 को लेकर पूरा देश उत्साहित है। देश गर्व के उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है जब चंद्रयान-2 चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा। अभी तक इस जगह पर कोई भी देश नहीं पहुंचा है। चांद के साउथ पोल पर स्पेसक्राफ्ट उतारने के बाद भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 उतरेगा।

7 सितंबर की रात करीब 1:38 बजे चंद्रयान-2 चांद के ऊपर 35 किमी की ऊंचाई से सतह की तरफ जाना शुरू करेगा। करीब 10 मिनट बाद 7.4 किमी की ऊंचाई से इस पर ब्रेक लगाया जाएगा। ये ब्रेक उसके इंजन को विपरीत दिशा में स्टार्ट कर किया जाएगा। करीब दो मिनट बाद 1:50 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह की मैपिंग शुरू करेगा। इसके ठीक दो मिनट बाद यानी 1:52 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह की सबसे नजदीकी तस्वीर पृथ्वी पर इसरो सेंटर को भेजेगा।

इस तस्वीर को भेजने के बाद करीब एक मिनट बाद यानी 1:53 बजे के आसपास वह चांद की सतह पर उतरेगा। इसके दो घंटे बाद यानी 3:53 बजे विक्रम लैंडर, रोवर के बाहर आने के लिए अपने दरवाजों को खोलकर रैंप बाहर निकालेगा। आधे घंटे बाद 4 बजकर 23 मिनट पर प्रज्ञान ऑन होगा।

सुबह 5:03 बजे प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल एक्टीवेट होगा। इसके करीब 16 मिनट बाद 5:19 बजे प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से रैंप के सहारे बाहर निकलेगा। उसे चांद की सतह पर उतरने में करीब दस मिनट लगेंगे। यानी 5:29 मिनट पर प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद 5:45 बजे प्रज्ञान रोवर अपने यान यानी विक्रम लैंडर की सेल्फी लेकर पृथ्वी पर भेजेगा।

लगा है सोलर पैनल

लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 27 किलोग्राम का रोवर 6 पहिए वाला एक रोबॉट वाहन है। इसका नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब 'ज्ञान' होता है। रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर (आधा किलोमीटर) तक घूम सकता है। इसमें दो प्लेलोड्स लगाए गए हैं। इसका डाइमेंशन 0.9x0.75x0.85 है। इसके बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि इसकी मिशन लाइफ एक लूनर डे है। एक लूनर डे यानी चांद का एक दिन जो कि धरती के करीब 14 दिनों के बराबर है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। वहीं इसके दोनों हिस्सों में एक-एक कैमरा लगा है। ये दोनों ही नैविगेशन कैमरे हैं जो रोवर को रास्ता बताएंगे।

वहीं विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से ठीक वैसे ही प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं। ये सीढियां नहीं, बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी। यहां से जैसे ही प्रज्ञान नीचे उतरेगा, उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे और वो पूरी तरह चार्ज होगा। यहां से वो चंद्रमा की सतह पर पैर रखते ही मिशन से जुड़े सभी संदेश धरती पर भेजने लगेगा।

चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा। इसकी कुल लाइफ 1 ल्यूनर डे की है जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है।

PM मोदी की देशवासियों से अपील - जरूर देखें लैंडिंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रात में चंद्रयान-2 की लैंडिंग का साक्षी बनने के लिए बेंगलुरु में इसरो के सेंटर में वैज्ञानिकों के साथ मौजूद रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके देशवासियों से चंद्रयान-2 की लैंडिंग देखने की अपील की है। पीएम मोदी ने कहा- मैं खुद इसकी तस्वीरें ट्वीट करूंगा।

पीएम मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, '130 करोड़ हिंदुस्तानी जिस पल का इंतजार कर रहे थे, वह कुछ ही घंटे दूर है। चंद्रयान-2 आज रात चांद के दक्षिणी हिस्से की सतह पर उतरेगा। भारत और दुनिया एक बार फिर हमारे वैज्ञानिकों के दम को देखेगी।'

पीएम मोदी ने कहा, 'मैं भी इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए बेंगलुरु में इसरो सेंटर में मौजूद रहूंगा। उनके साथ स्कूली बच्चे भी होंगे, जिनमें भूटान से आए बच्चे भी शामिल होंगे।' प्रधानमंत्री मोदी ने आगे लिखा, '22 जुलाई 2019 को जब चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ तब से लेकर अब तक मैंने इस मिशन पर करीब से नजर रखी है। इस मिशन की सफलता करोड़ों हिंदुस्तानियों को फायदा पहुंचाएगी।'