एक व्यक्ति को जल्‍द लग सकेगी दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज, सरकार ने ट्रायल को दी मंजूरी

देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए वैक्‍सीन (Corona Vaccine) को सबसे बेहतर सुरक्षा उपाय के तौर पर देखा जा रहा है। यही कारण है कि कोरोना वैक्‍सीन को लेकर अभी भी परीक्षण जारी है। इसी कड़ी में अब कोरोना टीकाकरण में मिश्रित खुराक को शामिल करने के लिए सरकार ने वैज्ञानिक अध्ययन की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही अब जल्द ही एक व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीन की खुराक मिल सकेंगीं क्योंकि अब तक सामने आए अन्य चिकित्सीय अध्ययनों में वैक्‍सीन के मिश्रण को लेकर काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल चुके हैं।

गुरुवार को देर रात तक चली विशेषज्ञ कार्य समिति (एसईसी) की बैठक में कोविशील्ड (Covishield) और कोवाक्सिन (Covaxin), इनके अलावा नाक से दी जाने वाली भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की वैक्सीन और सीरिंज से दी जाने वाली कोवाक्सिन की मिश्रित खुराक पर अध्ययन की अनुमति दी गई है। जल्द ही देश भर के अस्पतालों में यह अध्ययन शुरू होगा।

कोविशील्ड और कोवाक्सिन की मिश्रित खुराक का परीक्षण

विशेषज्ञ कार्य समिति (एसईसी) से जुड़े सदस्‍यों ने बताया कि कई देशों में एक ही इंसान को दो कोरोना वैक्‍सीन दी जा चुकी है और इसके परिणाम काफी बेहतर देखने को मिले हैं। उत्‍तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से एक शख्‍स को दो अलग-अलग वैक्‍सीन की डोज दे दी गई थी। इसके बाद डॉक्‍टरों ने उस शख्‍स पर नजर रखी। बता दें कि शख्‍स पूरी तरह से स्‍वस्‍थ है और उसे किसी भी तरह की कोई दिक्‍कत नहीं है। पूरी संभावना है कि वैज्ञानिक अध्ययन में कोरोना वायरस और एडिनो वायरस से बनीं दो अलग-अलग वैक्सीन एक शरीर में जाकर समान असर दिखाएंगीं।

समिति के सदस्‍यों ने बताया कि सीएमसी वैल्लोर के विशेषज्ञों से मिश्रित खुराक को लेकर प्रस्ताव भी मिला। वैल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कोवाक्सिन और कोविशील्ड की मिश्रित खुराक पर अध्ययन करने की अनुमति मांगी है। फिलहाल इस पर अध्ययन की अनुमति दी गई है। इस अध्ययन में नाक से दी जाने वाली वैक्सीन को भी शामिल किया जाएगा क्योंकि यह बच्चों के टीकाकरण में तेजी ला सकती है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में अध्ययन के बेहतर परिणाम मिलने के बाद इसे टीकाकरण में शामिल कर लिया जाएगा। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में अभी कम से कम तीन से चार महीने का समय लग सकता है।