केन्द्रीय वित्त मंत्री की ओर से पेश की जाने वाली वार्षिक वित्त रिपोर्ट को ही ‘आम बजट’ कहा जाता है। इसमें अकाउंट्स स्टेटमेंट, अनुमानित प्राप्तियां,1 अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्च का विस्तृत ब्योरा होता है। इसमें शामिल सरकारी योजनाओं पर खर्च की स्वीकृति संसद पर निर्भर करती है। बजट के माध्यम से वित्त मंत्री संसद से टैक्स, ड्यूटीज और ऋण के माध्यम से धन जुटाने की मंजूरी चाहता है।
क्या हैं आम बजट?केन्द्रीय वित्त मंत्री की ओर से पेश की जाने वाली वार्षिक वित्त रिपोर्ट को ही "आम बजट" कहा जाता है। इसमें अकाउंट्स स्टेटमेंट,अनुमानित प्राप्तियां,1 अप्रेल से शुरू होने वाले आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्च का विस्तृत ब्योरा होता है। इसमें शामिल सरकारी योजनाओं पर खर्च की स्वीकृति संसद पर निर्भर करती है।
बजट के माध्यम से वित्त मंत्री संसद से टैक्स,डयूटीज और ऋण के माध्यम से धन जुटाने की मंजूरी चाहता है।
ऎसे तैयार होता है?आम बजट एक विस्तृत चर्चा और परामर्श प्रक्रिया के बाद तैयार होता है। सभी मंत्रियों सहित विभाग,राज्य,केन्द्र शासित प्रदेश और स्वायत्त निकाय और सेना अपने खर्चऔर आमदनी का ब्योरा वित्त मंत्रालय को देते हैं। वित्त मंत्री इसके बाद योजना आयोग के साथ किसान,बिजनेस बॉडीज,विदेशी संस्थानिक निवेशकों से जुडे स्टेकहॉल्डर्स और अर्थशाçस्त्रयों से परामर्श करते हैं। इस प्रक्रिया के बाद वित्त मंत्री टैक्स प्रपोजल्स पर अंतिम निर्णय लेते है और फिर प्रधानमंत्री से अप्रुवल लेते हैं।
अब वाणिज्य मामलात की बजट डिविजन की ओर से अंतिम रिपोर्ट तैयार होती है।
बजट की प्रस्तुतिआम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस के दिन पेश किया जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है। संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करता है। बजट दो भागों में बंटा होता है।
पहले भाग में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्योरा होता है और दूसरे भाग में आगामी वित्त वर्षो के लिए प्रत्येक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव रखें जाते हैं।
संसद में बजट पर बहसबजट पेश किए जाने के बाद बजट प्रपोजल्स पर संसद में सामान्य और विस्तृत बहस होती है। सामान्यत: लोकसभा में यह बहस 2-4 दिन तक चलती है। इस दौरान सरकार संसद में वित्त वर्ष के शुरूआती महीनों के लिए खर्च पर "वोट ऑन अकाउंट" करना चाहती है।
प्रक्रिया राष्ट्रपति की मंजूरी पर पूरीइसके साथ ही संबंधित स्थाई समितियां संसद से अनुदान की मांग पेश करती हैं। सदन में बहस के अंतिम दिन स्पीकर की ओर से सभी बकाया अनुदान मांगों को वोट पर रखा जाता है। लोकसभा में बहस के बाद विनियोग विधेयक पर वोटिंग के साथ वित्त और धन विधेयक पर वोटिंग होती है। संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिनों के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
बजट पेपर्स और नॉर्थ ब्लॉकबजट पेपर वित्त मंत्रालय में स्थित प्रेस में तैयार होते हैं। बजट तैयार करने में जुटे अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक में बिल्कुल अलग-थलग रखा जाता है। उन्हें तब तक छुट्टी नहीं दी जाती जब तक वित्त मंत्री सदन में बजट पेश नहीं कर देते।