नीतीश सरकार ने मानी अपनी गलती, बिहार में अब सामने आए कोरोना से मौत के सही आंकड़े

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कई राज्यों में हो रही मौतों के आंकड़ों पर सवाल उठ रहे है। बिहार उन राज्यों की लिस्ट में शामिल है जहां हो रही मौतों के आंकड़ों पर सवाल उठे थे। खुद पटना हाईकोर्ट ने कई बार सरकार को आंकड़ों में भारी अंतर को लेकर लताड़ भी लगाई है। बक्सर में गंगा किनारे लाशें मिलने का मामला हो या पटना के श्मशान घाटों पर जल रही लाशों की संख्या। हर बार सरकारी आंकड़े संदेह के घेरे में थे। आखिरकार, अब सरकार ने ही इससे पर्दा उठाया।

बिहार की नीतीश सरकार ने अब मान लिया है कि कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में बड़ी गड़बड़ी हुई है। बुधवार को बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि अब तक जो मौतों का आंकड़ा 5424 बताया गया था वो गलत है असली आंकड़ा 7 जून तक 9375 है।

स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण से बुधवार तक मरने वालों की संख्या 5,478 के अलावा सत्यापन के बाद अतिरिक्त 3,951 अन्य लोगों की मौत के आंकड़े जोड़े गए हैं।

दरअसल, बिहार में कोरोना से हो रही मौतों की संख्या पर उठ रहे सवालों से तंग आकर 18 मई को नितीश सरकार ने आंकड़ों की जांच कराने का फैसला लिया था। सही आंकड़ों का पता करने के लिए दो तरह की टीमें बनाई गई थीं, जिनकी जांच रिपोर्ट में ये लापरवाही सामने आई है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिलों में कराई गई जांच से पता चला कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में घोर अनियमितता बरती गई। प्रत्यय अमृत ने माना कि इस संवेदनशील मामले में काफी असंवेदनशीलता की गई है। उन्होंने ऐसी लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही है। हालाकि, अभी तक यह सामने नहीं आया है कि अब तक कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है।

लापरवाही पर दिए ये तर्क

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में पकड़ी गई घोर लापरवाही पर कुछ तर्क भी दिए। उन्होंने बताया कि कई सारे लोगों की मौत होम आइसोलेश में हुई। काफी लोग संक्रमित होने के बाद दूसरे जिलों में चले गए, जहां उनकी मौत हो गई। कुछ लोगों की मौत अस्पताल जाने के क्रम में हुई, तो कुछ मौतें पोस्ट कोविड भी हुई। इस कारण मौतों का सही आंकड़ा नहीं मिल पाया।