भोपाल : डेंटिस्ट का इकलौता बेटा AIIMS में पंखे से लटका; 23 दिन में खुदकुशी का दूसरा मामला

राजधानी भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक मरीज द्वारा वार्ड में गमछे से खुदकुशी करने का मामला सामने आया है। घटना गु़रुवार दोपहर की है। एम्स के मनो चिकित्सा विभाग के वार्ड में भर्ती मनोरोगी इंदौर नाका, सीहोर निवासी 33 वर्षीय दीपक जायसवाल ने गमछे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। एम्स में मरीज की खुदकुशी करने का एक महीने में ये दूसरा मामला है।मनोरोगी के फांसी लगाने के बाद एम्स में मरीजों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।

बाग सेवनिया थाना पुलिस के मुताबिक, 33 वर्षीय दीपक जायसवाल मनोरोगी था। उसे 28 अक्टूबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। उसके पिता मनोहर जायसवाल सीहोर में दंत चिकित्सक हैं। मां दीपक की अस्पताल में देखभाल कर रही थीं। दीपक उनका इकलौता बेटा था। उसकी दो बहनें हैं, एक की शादी हो चुकी है। मरीज दीपक के साथ उसकी मां गीता जायसवाल साथ में देखभाल के लिए रह रही थीं। बेटे दीपक गुरुवार को करीब 11 बजे वार्ड में गमछे से फंदा बनाकर पंखे से झूल गया। उसकी मां नाश्ता लेने बाहर चली गई थीं। इसी दौरान उसने यह कदम उठाया। बेटे को फांसी के फंदे पर लटका हुआ सबसे पहले उनकी मां गीता जायसवाल ने देखा है। उन्होंने शोर मचाया, तब एम्स का स्टाफ आया और शव को नीचे उतारा।

अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला है कि दीपक पूरे मेडिकल वार्ड में घूमता रहता था। अस्पताल स्टाफकर्मियों से बार-बार अपनी छुट्टी के बारे में पूछता रहता था।

मनो चिकित्सा विभाग के वार्ड में क्यूबिकल बने हैं, एक क्यूबिकल में दो मरीजों को भर्ती करते हैं। गुरुवार को अन्य मरीज सुबह 11 बजे के आसपास नहीं था। दीपक की मां भी कहीं पर गई थीं, तभी दीपक ने फांसी लगा ली। घटना के बाद एम्स में भर्ती मरीजों की देखभाल और अन्‍य व्यवस्थाओं को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

मरीजों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल


इससे पहले 20 अक्टूबर को एम्स में 60 साल की महिला ने दूसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। वह कोरोना संक्रमित थी। महिला बाथरूम जाने का कहकर वार्ड से निकली थी। घटना में परिवार ने एम्स प्रबंधन पर मरीज की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया था। अब एक माह के अंदर एम्स में भर्ती दो मरीजों द्वारा खुदकुशी से संस्थान में मरीजों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।