कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय बुधवार, 3 जुलाई को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्ण राव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
28 जून को सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसके एक दिन बाद उन्होंने दावा किया कि महिलाएं राजभवन में जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक में ममता बनर्जी ने कहा, महिलाओं ने मुझे बताया है कि वे हाल ही में हुई घटनाओं के कारण राजभवन जाने से डरती हैं।
ममता बनर्जी की टिप्पणी राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी द्वारा 2 मई को बोस के खिलाफ लगाए गए छेड़छाड़ के आरोप का संदर्भ थी। कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
राज्यपाल ने उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक जनप्रतिनिधि के लिए गलत और बदनामी वाली धारणा बनाना उचित नहीं है। बोस ने यह भी दावा किया कि ये गढ़े गए आख्यान हैं जिनका उद्देश्य राज्य में भ्रष्टाचार को रोकने की उनकी क्षमता में बाधा डालना है।
संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, किसी राज्यपाल के विरुद्ध उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ये आरोप-प्रत्यारोप पश्चिम बंगाल की छवि को खराब कर रहे हैं। यह एक शर्मनाक घटना के अलावा और कुछ नहीं है।
समाचार एजेंसी पीटीआई को एक सूत्र ने बताया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने इसी तरह की टिप्पणी करने के लिए अन्य टीएमसी नेताओं के खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
वरिष्ठ माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव इस बात का संकेत है कि दोनों अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को भूल गए
हैं।