अयोध्या केस : अंतिम नहीं होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, खुला रहेगा यह विकल्प

अयोध्या पर फैसला आने में बस कुछ वक्त बचा है, जिससे पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर सुरक्षा बढ़ाई गई है। साथ ही पूरे इलाके में धारा 144 भी लागू कर दी गई है। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर यह फैसला अंतिम फैसला नहीं होगा, इसके बाद रिव्यू पिटीशन दाखिल की जा सकेगी। रिव्यू पिटीशन यानी कि पुनर्विचार याचिका उसी बेंच के पास आती है जो बेंच फैसला सुनाती है। इस मामले (Ayodhya case) में संविधान पीठ 9 नवंबर को फैसला सुनाने वाली है।

रिव्यू पिटीशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई नहीं होती बल्कि चैंबर में होती है। यदि याचिकाकर्ता ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए अनुरोध करेगा और कोर्ट इसके लिए तैयार होता है तो ओपन कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए तारीख देगा।

जाने आज ही क्यों आ रहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

न्यायमूर्ति गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। वैसे तो अदालत किसी भी दिन बैठ सकती है, मामले को सुन सकती है और फैसला दे सकती है लेकिन फिर भी 17 नवंबर को रविवार है और सामान्यत: इतने बड़े मामलों में फैसला अवकाश के दिन नहीं आया करता। साथ ही जिस दिन न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो रहे हों, उस दिन भी बड़े मामलों में फैसले आमतौर से नहीं सुनाए जाते। इससे पहले 16 नवंबर को शनिवार का भी अवकाश है। ऐसे में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई का अंतिम कार्यदिवस 15 नवंबर को पड़ रहा है। इससे यह अनुमान लगाया गया कि अयोध्या मामले का फैसला न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ 14 या 15 नवंबर को सुना सकती है। लेकिन, इसमें भी एक पेंच सामने आया। आम तौर से अदालत किसी फैसले को सुनाती है तो उससे संबंधित कोई तकनीकी गड़बड़ी पर अगले दिन वादी या प्रतिवादी में से कोई भी एक बार फिर से अदालत की शरण लेकर इस गड़बड़ी को दूर करने की गुहार लगाता है। इसमें भी एक या दो दिन लग जाते हैं। इस मामले में 14-15 नवंबर को फैसले की स्थिति में यह एक-दो दिन फिर खिसक कर 16-17 नवंबर हो जाते। इसके बावजूद, न ही अदालत और न ही सरकार से, किसी भी तरफ से यह संकेत नहीं मिला कि अयोध्या मामले में फैसला 14-15 नवंबर से पहले भी आ सकता है।

जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। यदि 17 नवंबर के पहले पुनर्विचार याचिका आती है तो इसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ही सुनेगी। लेकिन यदि यह पिटीशन इसके बाद आई तो अगले चीफ जस्टिस तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस गोगोई की जगह पांचवा जज कौन होगा। सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं की जाए।