अयोध्‍या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, अगले साल जनवरी में तय होगी अगली तारीख

अयोध्या विवाद Ayodhya Dispute को लेकर सुप्रीम कोर्ट Supreme Court में आज (29 अक्टूबर) अहम सुनवाई टल गई है। अब जनवरी में तय होगा कि सुनवाई कब होगी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ की बेंच ने इस मामले को अगले साल जनवरी के लिए टाल दिया है। उस दिन यह भी तय होगा कि सीजेआई रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ही मामले की सुनवाई करेगी या इसके लिए कोई नई बेंच का गठन किया जाएगा। दरअसल, इलाहबाद हाइकोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षकारों भगवान रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने का फ़ैसला सुनाया था। जिसके विरोध में कई पक्षों की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। आपको बता दें कि इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मसला (Ram Mandir) गर्माया है। भाजपा के तमाम सहयोगी पार्टी पर मंदिर निर्माण के लिए दबाव डाल रहे हैं और अन्य विकल्पों पर भी विचार करने को कह रहे हैं। गौरतलब है कि पहले इस मामले की सुनवाई पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ कर रही थी। जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद बेंच बदल दी गई।

आपको बता दें कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिया थे। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से ये मामला पेंडिंग है।

अयोध्या विवाद कब क्या हुआ...

1949: बाबरी मस्जिद के भीतर भगवान राम की मूर्तियां देखी गई,
सरकार ने परिसर को विवादित घोषित कर भीतर जाने वाले दरवाज़े को बंद किया
1950: फ़ैज़ाबाद अदालत में याचिका दायर कर मस्जिद के अंदर पूजा करने की मांग।
हिंदुओं को मस्जिद के भीतर पूजा करने की इजाज़त, भीतरी प्रांगण बंद
1959: निर्मोही आखड़ा ने याचिका दायर कर मस्जिद पर नियंत्रण की मांग की
1961: सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की याचिका, मस्जिद से मूर्तियों को हटाने की मांग
1984: वीएचपी ने राम मंदिर के लिए जनसमर्थन जुटाने का अभियान शुरू किया
1986: फ़ैज़ाबाद कोर्ट ने हिंदुओं की पूजा के लिए मस्जिद के द्वार खोलने के आदेश दिए
1989: राजीव गांधी ने विश्व हिंदू परिषद को विवादित स्थल के क़रीब पूजा की इजाज़त दी।
वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के समर्थन में रथ यात्रा निकाली।
बिहार के समस्तीपुर में लालू सरकार ने आडवाणी को गिरफ़्तार किया
1992: कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिराया, अस्थाई मंदिर का निर्माण किया।
देशभर में दंगे हुए जिसमें 2000 से अधिक लोगों की जानें गई
1992: केन्द्र सरकार ने जस्टिस लिब्रहान की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया
2003: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ASI को विवादित स्थल की खुदाई का आदेश दिया।
ASI की रिपोर्ट में मस्जिद के नीचे मंदिर के संकेत
2010: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने विवादित ज़मीन को तीन भाग में बांटने के आदेश दिए,
अलग-अलग पक्षकारों ने हाइकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी