CBI विवाद पर बोले जेटली कहा - ये केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, SIT करेगी जांच

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में अंतर्कलह अपने चरम पर है और इसमें अब सरकार को दखल देना पड़ा है। रिश्वत लेने के आरोपों के बाद जांच एजेंसी सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा Alok Verma और विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना Rakesh Asthana को छुट्टी पर भेज दिया गया है और उनके सारे अधिकार वापस ले लिए हैं। अब इस पूरे विवाद पर केंद्र सरकार ने अपना बयान दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मीडिया से रूबरू हुए इस दौरान उन्होंने कहा कि कि CBI इस देश प्रतिष्ठित संस्था है। इसकी साख बनी रहे इसके लिए केन्द्र सरकार तत्पर है।

जेटली ने कहा कि सीबीआई में विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा हुई है। दो वरिष्ठ डायरेक्टर पर सवाल उठे हैं। डायरेक्टर ने अपने नीचे और दूसरे नंबर के अधिकारी ने डायरेक्टर पर आरोप लगाया है। इसकी जांच कौन करेगा यह सरकार के सामने सवाल है। ये केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और न ही सरकार इसकी जांच करेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का दायित्व सिर्फ सुपरवीजन का है। मंगलवार को सीवीसी ने बताया कि दोनों अधिकारी इन आरोपों की जांच नहीं कर सकते और न ही इन अधिकारियों के नेतृत्व में इस जांच को करना संभव है। लिहाजा, जबतक यह जांच नहीं होती इन अधिकारियों को इनके काम से मुक्त कर दिया गया है। इस जांच को अब स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को दी गई है और जबतक यह एसआईटी जांच पूरी नहीं कर लेती इन अधिकारियों को सीबीआई से अलग कर दिया गया है।

हम सीबीआई के अधिकारियों में किसी को दोषी नहीं मान रहे हैं

जेटली ने कहा कि हम सीबीआई के अधिकारियों में किसी को दोषी नहीं मान रहे हैं। कानून के मुताबिक जब तक जांच पूरी न हो इसलिए अधिकारियों को बाहर कर दिया गया है। यदि जांच में उनकी भूमिका पर सवाल नहीं उठता तो वह वापस अपने कार्यभार को लेंगे। लेकिन निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी था कि जांच की अवधि तक अधिकारियों को सीबीआई से बाहर रखा जाए।

सरकार की भूमिका पर सवाल उठाना गलत

जेटली ने कहा कि सीवीसी सुपरवाइजरी अथॉरिटी है और वह एसआईटी का गठन करेगी। सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है और न ही सरकार इसमें किसी भूमिका को अदा करने की दिशा में देख रही है। जेटली ने बताया कि मंगलवार को सीवीसी की मीटिंग हुई और बुधवार को सरकार ने यह फैसला लिया है। लिहाजा, सरकार की भूमिका पर सवाल उठाने का कोई आधार नहीं है।

कैबिनेट में हुए कई बड़े फैसले


रविशंकर प्रसाद ने बताया कि केन्द्रीय कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के खगीला के पास ब्रॉड गेज लाइन को मंजूरी दी। बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती से गुजरते हुए इस लाइन से बड़ी कनेक्टिविटी मिलेगी। रविशंकर प्रसाद ने बताया कि 1998 में बने बेनामी एक्ट में मौजूदा सरकार ने बड़े बदलाव किए हैं। केन्द्र सरकार ने एडजूडिकेटिंग अथॉरिटी की नियुक्ति पर बड़ा फैसला लिया।

इसके अलावा रविशंकर प्रसाद ने बताया कि साउथ कोरिया के सियोल पीस अवार्ड से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नवाजा गया है। पीएम को यह अवार्ड अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े फैसले लेने के लिए दिया गया है।

गौरतलब है कि सीबीआई में चल रहे विवाद के दौरान रातोरात जिस तरह शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया उससे हर कोई हैरान है।

नागेश्वर राव को मिली जिम्मेदारी

इस परिस्थिति में ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। नागेश्वर राव ने बुधवार सुबह ही अपना कार्यभार संभाला। नागेश्वर ने पदभार संभालते ही कड़ा एक्शन लेना शुरू कर दिया है।

आलोक वर्मा को हटाए जाना और राफेल डील में कुछ तो संबंध है

मोदी सरकार Modi Government के इस फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल Arvind Kejriwal ने सरकार पर निशाना साधा है। केजरीवाल को लगता है कि आलोक वर्मा को हटाए जाना और राफेल डील में कुछ तो संबंध है।

बुधवार को जैसे ही यह फैसला आया कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को हटा कर छुट्टी पर भेज दिया है, वैसे ही सीएम केजरीवाल ने एक ट्वीट किया। ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि- 'क्या राफेल डील और आलोक वर्मा को हटाने के बीच कोई संबंध है? क्या आलोक वर्मा राफले में जांच शुरू करने जा रहे थे, जो मोदी जी के लिए समस्या बन सकती थी?

इससे पहले आलोक वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी ऐसी संभवना व्यक्त की। उन्होंने भी कहा कि शायद राफेल की जांच से बचने के लिए मोदी सरकार ने आलोक वर्मा को हटाया है। उन्होंने कहा कि 'सीबीआई डायरेक्टर को गलत तरीके से हटाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि सीबीआई डायरेक्टर का टर्म दो साल का फिक्स होगा और सिर्फ सेलेक्शन कमेटी ही सीबीआई डायरेक्टर को हटा सकता है। मैं शुक्रवार को एक याचिका दायर करूंगा।' उन्होंने कहा कि 'राफेल डील की जांच सीबीआई नहीं कर सके, इसलिए शायद सीबीआई डायरेक्टर को हटाया गया है। हमने, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सीबीआई डायरेक्टर से राफेल डील की जांच की मांग की थी। सीबीआई डायरेक्टर ने राफेल डील से जुड़ी कुछ फाइलें सरकार से मांगी थी।' उन्होंने यह भी कहा कि नागेश्वर राव के खिलाफ भी सीरियस शिकायतें हैं। सीबीआई डायरेक्टर ने कुछ महीने पहले उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।

मामला क्या है?

गौरतलब है कि एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी। कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है।

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई। इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया।