किन देशों के पास है और कैसी होती है ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल, जाने

भारत ने अंतरिक्ष में युद्धक क्षमता हासिल करते हुए किसी भी संदिग्ध सैटलाइट को मार गिराने की शक्ति हासिल कर ली है। देश के वैज्ञानिकों ने बुधवार को महज 3 मिनट के 'मिशन शक्ति' अभियान के तहत अंतरिक्ष के लो अर्थ ऑर्बिट में 300 किलोमीटर दूर एक सैटलाइट को मार गिराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. इस तकनीक में पृथ्वी से बैठकर अंतरिक्ष में घूम रही सैटेलाइट को मार गिराते हैं। ये तकनीक अब तक केवल तीन देशों के पास थी। भारत इस मामले में चौथा देश है।

भारत ने वर्ष 2012 में इस पर काम करना शुरू किया था। अब भारत ने इसमें सफलता हासिल कर ली है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में चौथा विश्व युद्ध अंतरिक्ष में लड़ा जाएगा। जिस देश के पास एंटी सैटेलाइट तकनीक होगी, वो ऐसी लड़ाई में बाजी मार ले जाएगा। जानते हैं किन तीन देशों के पास पहले ये ताकत है

ये तीन देश हैं अमेरिका, चीन और रूस। अब भारत इस मामले में चौथा देश बना है। चीन ने वर्ष 2010 में ऐसी तकनीक का सफलता से परीक्षण किया था। तब चीन ने अपनी अपनी एक इंटरसेप्ट एंटी बैलिस्टिक मिसाइल (एबीएम) से अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट पर निशाना साधा था। इसे ही एंटी सैटेलाइट (एएसएटी) सिस्टम कहा जाता है। इसी सिस्टम का इस्तेमाल कर ये तीन उन्नत देश अपनी खराब हो चुकी सैटेलाइट को सीधे निशाना लगाकर नष्ट करती हैं।

आइए, जानते हैं कैसी होती है यह ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल...

अंतरिक्ष विज्ञानी अजय लेले के मुताबिक ऐंटी सैटलाइट मिसाइल के अंदर बारूद नहीं होता। इसे काइनैटिक किल वेपन भी बोलते हैं। सामान्य मिसाइल के टिप पर वॉरहेड लगाते हैं। लक्ष्य पर टकराने के बाद ब्लास्ट होता है। जबकि ऐंटी सैटलाइट मिसाइल काइनैटिक किल मैकेनिज्म पर काम करती है। इसके वॉरहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होता है। सैटलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वह उसे गिरा देता है। यह मिसाइल किसी भी देश को अंतरिक्ष में सैन्य ताकत देने का काम करता है। अब तक यह शक्ति अमेरिका, रूस और चीन के पास ही थी, अब अंतरिक्ष में महाशक्ति कहलाने वाले देशों में भारत भी शामिल हो गया है। हालांकि अब तक किसी भी देश ने युद्ध में ऐसे ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल को इस्तेमाल नहीं किया है।

क्या या है Low Earth Orbit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारत के वैज्ञानिकों की ओर से जिस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है, वह पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) में किया गया है। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर यह लो अर्थ ऑर्बिट क्या है? भारत ने अंतरिक्ष में 300 किमी दूर LEO (Low Earth Orbit) में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है। ये लाइव सैटेसाइट जो कि एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था, उसे एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) द्वारा मार गिराया गया है। बता दें कि लो अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की निचली कक्षा पृथ्वी के सबसे नजदीक ऑर्बिट (कक्षा) है। यह पृथ्वी की सतह से 160 किलोमीटर (99 मील) और 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) के बीच ऊंचाई पर स्थित है। यह पृथ्वी की सतह से सबसे नजदीक है। लो अर्थ ऑर्बिट के बाद मिडियन अर्थ ऑर्बिट, Geosynchronous ऑर्बिट और उसके बाद हाई अर्थ ऑर्बिट है। हाई अर्थ ऑर्बिट पृथ्वी की सतह से 35,786 किलोमीटर पर स्थित है। बता दें कि साल 2022 में जो भारत की ओर से जो तीन भारतीय अंतरिक्ष भेजे जाएंगे, वो भी इस लो अर्थ ऑर्बिट में रहेंगे। इस प्रोजेक्ट को लेकर इसरो ने कहा था कि सिर्फ 16 मिनट में तीन भारतीयों को श्रीहरिकोटा से स्पेस में पहुंचा दिया जाएगा और तीनों भारतीय स्पेस के 'लो अर्थ ऑर्बिट' में 6 से 7 दिन बिताएंगे।