इम्फाल। मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। राज्य की सुरक्षा चिंताओं पर गृह मंत्री की अगुवाई में विचार-विमर्श का यह लगातार दूसरा दिन था।
क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है, इसलिए गृह मंत्रालय ने मणिपुर में सुरक्षा तैनाती बढ़ाने का फैसला किया है। बैठक के दौरान गृह मंत्री ने मणिपुर में सुरक्षा तैनाती की समीक्षा की और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) तथा राज्य पुलिस अधिकारियों को क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार राज्य में CAPF की 50 अतिरिक्त कंपनियां भेज रही है। इससे पहले 20 कंपनियां तैनात की गई थीं, जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अब CAPF की कुल 70 इकाइयां तैनात की जा रही हैं।
मणिपुर में शनिवार (16 नवंबर) को छह लोगों की हत्या के बाद ताजा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कथित तौर पर उग्रवादियों द्वारा अपहरण किए गए छह लोगों के शव जिरीबाम जिले में पाए गए।
विरोध प्रदर्शनों के बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर के इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में कर्फ्यू लगा दिया गया और सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं।
मणिपुर में रविवार को विरोध प्रदर्शन और हिंसा बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के जिरीबाम जिले में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी में 20 वर्षीय एक युवक की मौत हो गई।
बढ़ते तनाव के बीच, भीड़ ने उसी क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के स्थानीय कार्यालयों से फर्नीचर और अन्य संपत्ति में तोड़फोड़ और आग लगा दी।
बढ़ते संकट के मद्देनजर, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने शांति बहाल करने में विफल रहने का हवाला देते हुए भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों पर, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा से जुड़े तीन मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली है।
पहला मामला जिरीबाम जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और कुकी उग्रवादियों के बीच हुई गोलीबारी का है। मुठभेड़ में कम से कम 11 कुकी उग्रवादी मारे गए। छह लोगों के अपहरण और हत्या का एक अलग मामला आतंकवाद निरोधी एजेंसी को सौंप दिया गया है।