राफेल के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं...

भारतीय सेना की शक्ति और भी मजबूत होने वाली है। जिस लड़ाकू विमान का काफी वक्त से इंतजार था, वो राफेल विमान अब बस चंद घंटों की दूरी पर है। फ्रांस से हुए सौदे के तहत राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप बुधवार सुबह भारत पहुंचेगी। सोमवार को सभी 5 विमान फ्रांस से रवाना हुए, सात घंटे का सफर करके UAE पहुंचे और फिर वहां से भारत के लिए उड़ान भरेंगे। फ्रांस से भारत का सफर भी राफेल के लिए आसान नहीं है, क्योंकि कुल 7000 किमी की दूरी तय करने के बाद अंबाला बेस पर पहुंचा जाएगा। यही कारण रहा कि उड़ान भरने के बाद एक बार राफेल में हवा में ईंधन भरा गया, उसके बाद एक स्टॉप UAE के बेस पर लिया गया। जिसके बाद वहां से बुधवार को ये भारत के लिए रवाना होंगे।

पिछले साल 8 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस जाकर राफेल की पूजा की थी। उस पूजा के ठीक 9 महीने और 21 दिन बाद राफेल हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर तैनात हो जाएगा। भारत दैसो एविएशन से जो 36 राफेल फाइटर जेट खरीद रहा है, उसमें से अभी 5 ही मिले हैं, बाकि बचे 31 जेट 2022 तक मिलने की उम्मीद है। यूपीए-2 के कार्यकाल में फ्रांस की दैसो एविएशन से भारत ने 126 राफेल खरीदने की डील की थी। बाद में 2015 में मोदी सरकार ने इस डील को कैंसिल कर दिया। सितंबर 2016 में 58 हजार 891 करोड़ रुपए की डील हुई, जिसमें 36 विमान खरीदने पर मंजूरी बनी। इस डील के 67 महीने बाद राफेल भारत को मिल रहे हैं।

तैयार है अंबाला एयरबेस

अंबाला एयरबेस को भी राफेल के आगमन के हिसाब से तैयार कर दिया गया है। राफेल विमानों के भारत आगमन के मद्देनजर अंबाला एयर बेस के लिए सुरक्षा के बंदोबस्त भी कड़े कर दिए हैं। अंबाला एयरबेस के 3 किलोमीटर के दायरे को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया गया है। एयरबेस के 3 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन या अन्य किसी तरह की उड़ान पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उस पर एक्शन लिया जाएगा।

राफेल का पाकिस्तान और चीन के पास भी तोड़ नहीं

राफेल जैसा फाइटर जेट चीन और पाकिस्तान दोनों के पास ही नहीं है। चीन के पास चेंगड़ू जे-10 विमान है, जो अमेरिका के एफ-16 ए/बी के बराबर ही है। चीन के पास ऐसे 400 विमान हैं। इसमें 100 किमी तक की रेंज में मारने वाली मिसाइलें हैं। चीन के पास शेन्यांग जे-11 भी है, जो सुखोई-27 की कॉपी है। ये भारत के पास मौजूद सुखोई-30एमकेआई की तरह है। इसके अलावा चीन ने एक शेन्यांग जे-16 फाइटर जेट भी बनाया है, जिसमें 150 किमी तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें तैनात हो सकती हैं। चीन के पास सुखोई-30एमकेके भी है, जो भारतीय वायुसेना के पास मौजूद सुखोई-30एमकेआई की तरह है। चीन के पास सुखोई-30 भी है। इन सबके अलावा चीन के पास 5वीं पीढ़ी का जे-20 फाइटर जेट भी है। लेकिन, ये अभी ऑपरेशनल नहीं है।

वहीं, पाकिस्तान के पास सबसे अच्छा फाइटर जेट एफ-16 ब्लॉक 52 है, जिसकी मिसाइल की मारक क्षमता 120 किमी तक की है। कुल मिलाकर पाकिस्तान और चीन की तुलना में भारतीय वायुसेना के पास अच्छे फाइटर जेट हैं।

भारत चीन के बीच सीमा विवाद

गौरतलब है कि मई महीने से भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद चल रहा है। इस बीच राफेल की पहली खेप की तैनाती अंबाला में ही की जा रही है, जो कि चीन बॉर्डर से 300 किमी। की दूरी पर ही है। ऐसे में अगर जरूरत पड़ती है तो चंद मिनटों में ही राफेल को बॉर्डर पर पहुंचाया जा सकता है। यानी अगर दुश्मन कोई गुस्ताखी करता है तो उसपर एक्शन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

राफेल यानी 'तूफ़ान'

राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है। इसमें हवा से हवा में मारने वाली मैजिक-II, एमबीडीए मीका आईआर या ईएम और एमबीडीए मीटियर जैसी मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें हवा में 150 किमी तक के टारगेट को मार सकती हैं। इसमें हवा से जमीन में मारने की भी ताकत है। इसकी रेंज 560 किमी है। इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल इराक, अफगानिस्तान, लीबिया, माली और सीरिया में हो चुका है। इस फाइटर जेट के आने से भारत की ताकत हिंद महासागर में भी बढ़ेगी।

100 किमी के दायरे में भी टारगेट को कर सकता है डिटेक्ट

राफेल में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) राडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है। इसमें सिंथेटिक अपरचर राडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा राडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और राडार को जाम करने से बचाता है। इसके अलावा राफेल का राडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।

कम्प्यूटर सिस्टम जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में करेगा मदद

राफेल को राडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है। इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटी के साथ चौथी जनरेशन का विमान है। इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।