हर महीने 200-250 करोड़ के घाटे के चलते सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को कई विमानों का रख-रखाव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी को दी है। नागर विमानन मंत्रालय ने इसके लिए कैश फ्लो की अनुपलब्धता को जिम्मेदार बताया है। हालांकि मंत्रालय का कहना है कि स्पेयर पार्ट्स को उपलब्ध कराने की हर संभव कोशिश की जा रही है। संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी की जांच ऐस वक्त में महत्वपूर्ण है जब एयर इंडिया अपनी 76 फीसदी हिस्सदारी के विनिवेश की तैयारी में है। ट्रांसपॉर्ट, टूरिज्म और कल्चर से संबंधित इस समिति को डेरेक ओ ब्रायन लीड कर रहे हैं और उन्होंने एयर इंडिया के विनिवेश का विरोध किया है। हालांकि उनके ड्राफ्ट को पैनल में मौजूद एनडीए के सांसदों ने रिजेक्ट कर दिया। 2011 से सरकार ने एयर इंडिया का कैश फ्लो कम कर दिया है, जिसकी वजह से काफी सारे विमान खड़े हुए हैं।
मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि पहले एयर इंडिया के विमानों के इंजनों के मेनटेनेंस और रिपेयर के लिए विदेश भेजा जाता था, लेकिन अब यह काम घरेलू स्तर पर हो रहा है। एयर इंडिया क्रेडिट पर लगी रोक के लिए भी बातचीत कर रहा है, जिससे कि मेनटेनेंस में कोई बाधा नहीं आए। मंत्रालय ने समिति को यह भी बताया कि लीज पर लिए गए विमानों को शर्तें ना पूरी होने की वजह से 2 महीनों तक उड़ान नहीं भरने दिया गया। गौरतलब है कि एयर इंडिया पर अभी कुल 48,776 करोड़ रुपये का कर्ज है।