बेंगलूरू। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने गुरुवार को आदित्य-L1 पर लगे कैमरे से ली गई सेल्फी के साथ पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें शेयर कीं। इन तस्वीरों को 4 सितंबर को खींचा गया है। सेल्फी में आदित्य पर लगे दो इंस्ट्रूमेंट VELC और SUIT नजर आ रहे हैं।
आदित्य को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 Km x 19,500 Km की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था।
लॉन्चिंग के बाद से आदित्य की दो बार ऑर्बिट बढ़ाई जा चुकी है। इसके लिए थ्रस्टर फायर किए गए थे। करीब 4 महीने बाद यह 15 लाख Km दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है।
गौरतलब है कि आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया था। अभी तक आदित्य एल-1 ने दो अर्थ बाउंड मैन्यूवर्स सफलतापूर्वक पार कर लिए हैं। आदित्य एल-1 चार महीने का सफर तय कर सूरज और पृथ्वी के बीच स्थित एल-1 प्वाइंट तक पहुंचेगा। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम X पर पोस्ट कर बताया है कि आदित्य एल-1 में लगे कैमरे ने सेल्फी ली है। आदित्य एल-1 में लगे दो पेलोड्स VELC और SUIT की तस्वीर भी साफ दिखाई दे रही है। वीडियो में आदित्य एल-1 के कैमरे ने पृथ्वी और चांद का भी वीडियो बनाया है। यह वीडियो 4 सितंबर का है।
कितना दूर है एल-1 प्वाइंट?धरती और सूरज के बीच में कुल पांच ऐसे प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं जहां स्पेस क्राफ्ट को रखकर सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन किया जाता है। इस एल-1 प्वाइंट को लैरेंज बिंदु भी कहते हैं। बता दें कि सूरज से सबसे नजदीक एल-1 प्वाइंट है जहां सूर्ययान जा रहा है। धरती से एल-1 प्वाइंट की दूरी तकरीबन 15 लाख किलोमीटर है। वहीं सूरज से एल-1 की दूरी करीब 14 करोड़ 85 लाख किमी है। लैरेंज प्वाइंट 1 सूरज और धरती की कुल दूरी का मात्र एक फीसदी ही है।
आदित्य एल-1 कितने दिन में पहुंचेगा?इसरो ने बताया कि आदित्य-एल 1 मिशन तकरीबन 120 दिन में एल-1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। आदित्य एल-1 मिशन को PSLV XL रॉकेट लेकर उड़ान भरी थी। आदित्य एल-1 करीब 5 साल तक सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। अगर आदित्य एल-1 के सभी उपकरणों ने ठीक से काम किया तो यह मिशन 10 से 15 साल तक सूर्य का अध्ययन करने में सक्षम है। आदित्य-एल1 मिशन को बनाने में कुल 378 करोड़ रुपये की लागत आई है।